Edited By kirti, Updated: 10 Jun, 2018 09:59 AM
प्रदेश के करीब 5 लाख लोगों को प्रतिदिन अपने गंतव्य तक पहुंचाने वाली एच.आर.टी.सी. की करीब 2 वर्ष के अंतराल के बाद फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रदेश में निगम कर्मचारियों को समय पर उनके देय भत्तों के मिलने का मलाल है, अगर उन्हें समय पर जारी नहीं...
शिमला : प्रदेश के करीब 5 लाख लोगों को प्रतिदिन अपने गंतव्य तक पहुंचाने वाली एच.आर.टी.सी. की करीब 2 वर्ष के अंतराल के बाद फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रदेश में निगम कर्मचारियों को समय पर उनके देय भत्तों के मिलने का मलाल है, अगर उन्हें समय पर जारी नहीं किया गया तो इससे प्रदेश भर में 80 प्रतिशत तक एच.आर.टी.सी. बसों के पहिए फिर से थम सकते हैं। निगम के चालक-परिचालकों को बीते 12 माह से नाइट ओवरटाइम भत्ता नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही कर्मचारियों को 24 प्रतिशत तक डी.ए. की किस्त भी नहीं दी गई है, ऐसे में निगम के चालक-परिचालक अपनी जेब से नाइट खर्च वहन कर रहे हैं। निगम के चालक-परिचालकों को नाइट ओवरटाइम के लिए प्रतिदिन 130 रुपए दिए जाते हैं जबकि कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान समय में उनका रात्रि खर्चा बहुत बढ़ गया है और यह खर्च 150 रुपए से ज्यादा हो गया है।
चालक-परिचालक बसों में नाइट ओवरटाइम नहीं लगाएंगे
एक वर्ष से अधिक अंतराल से निगम के करीब 8 हजार चालक-परिचालक अपनी जेब से ही यह खर्चा वहन कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें अपनी मासिक पगार से ही इन खर्चों को वहन करना पड़ रहा है जिससे कर्मचारियों को आॢथक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। निगम की ड्राइवर यूनियन के अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर का कहना है कि निगम के चालक-परिचालकों को एक वर्ष का नाइट ओवरटाइम व 24 प्रतिशत डी.ए. की किस्त नहीं दी गई है और सभी चालक-परिचालक अपनी जेब से यह खर्च वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक माह में यदि सरकार ने नाइट ओवरटाइम जारी नहीं किया तो सभी चालक-परिचालक बसों में नाइट ओवरटाइम नहीं लगाएंगे। कर्मचारियों का कहना है कि यदि समय पर उन्हें उनके देय भत्तों को नहीं दिया जाता है तो ऐसे में एक माह बाद सभी चालक नाइट ड्यूटी नहीं देंगे, ऐसे में निगम के करीब 80 प्रतिशत तक रूट प्रभावित होंगे।