शिवरात्रि महोत्स : पंजीकृत करने के नए देवताओं में अब हो सकती है छंटनी(Video)

Edited By kirti, Updated: 02 Mar, 2019 01:57 PM

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पंजीकृत 216देवी-देवताओं में छंटनी हो सकती है और कुछ को बाहर निकालकर अन्य देवी-देवताओं को पंजीकृत किया जा सकता है। इस बात के संकेत सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ ने दिए हैं।

मंडी(नीरज): अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पंजीकृत 216देवी-देवताओं में छंटनी हो सकती है और कुछ को बाहर निकालकर अन्य देवी-देवताओं को पंजीकृत किया जा सकता है। इस बात के संकेत सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ ने दिए हैं। बता दें कि गत वर्ष सीएम जयराम ठाकुर ने गैर पंजीकृत देवी-देवताओं को भी पंजीकृत करने के निर्देश प्रशासन को दिए थे। प्रशासन ने इसका जिम्मा सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ को दे रखा है। सीएम के आदेश के बाद सर्व देवता समिति के पास 100 से अधिक मंदिर कमेटियों के आवेदन पहुंच चुके हैं।

लेकिन समिति ने पंजीकृत होने वाले नए देवी-देवताओं के कुछ मापदंड तय किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जिस देवता का रथ और इतिहास 50 वर्ष पुराना होगा उसे ही पंजीकृत किया जाएगा। साथ ही देवता की कमेटी परिवार विशेष या व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि सामाजिक होनी चाहिए। इन्हीं मापदंडों के आधार पर पहले से पंजीकृत देवी-देवताओं को भी बाहर किया जा सकता है। सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने कहा कि देव संस्कृति कायम रहे इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है और इसके लिए अगर आवश्यक हुआ तो पहले से पंजीकृत देवी-देवताओं की भी छंटनी की जा सकती है।

इसके अलावा सुकेत रियासत के देवी-देवताओं को भी मंडी में पंजीकृत करने को लेकर दुविधा उत्पन्न हो रही है। सुकेत रियासत के देवी-देवता अपने इलाके के आधार पर माने जाते हैं। यदि इन्हें मंडी में पंजीकृत किया जाता है तो फिर इनके और मंडी रियासत के देवी-देवताओं के मान-सम्मान का ध्यान रखना होगा। न तो मंडी रियासत के लोग चाहेंगे कि उनका देवी-देवता के मान-सम्मान में कटौती हो और न ही सुकेत रियासत के। देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा का कहना है कि इस संदर्भ में शिवरात्रि के बाद बैठक बुलाकर आपसी तालमेल बैठाने का प्रयास किया जाएगा ताकि कोई मनमुटाव पैदा न हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार के महोत्सव में यह कोई नया देवी-देवता मंडी शिवरात्रि में शिरकत करने नहीं आएगा।

वहीं नए देवी-देवताओं के पंजीकरण के पीछे एक और समस्याया खड़ी नजर आ रही हैं। प्रशासन के पास देवी-देवताओं को ठहराने की उचित व्यवस्था मौजूद नहीं है। संस्कृति सदन बनने तक यह समस्या बरकरार रहेगी। यदि प्रशासन नए देवी-देवताओं का पंजीकरण कर भी देता है तो महोत्सव में जब यह लाव-लश्कर के साथ आएंगे तो इन्हें बैठाने की दिक्कत हो जाएगी। देवता समिति ने सरकार और प्रशासन को सुझाव दिया है कि देवी-देवताओं को मंडी शहर के बीचों-बीच इंदिरा मार्किट की छत पर बैठाया जाए। यदि ऐसा होता है कि सैंकड़ों देवरथों को यहां बैठाया जा सकता है। हालांकि अभी यह मामला विचाराधीन है और भविष्य में ही इसपर कोई निर्णय लिया जा सकता है।

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