न बिल्डिंग न टीचर, खतरे में जान, अधर में भविष्य

Edited By Simpy Khanna, Updated: 27 Dec, 2019 03:03 PM

neither building nor teacher

प्रदेश सरकार के 2 साल पूरे हो चुके हैं। प्रदेश सरकार विकास के दावों को लेकर जो बड़ी-बड़ी बातें कर रही है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करें तो सभी इन बड़े-बड़े वादों की पोल खुल जाती है। धरातल की सच्चाई से हम आपको रूबरू करवाते हैं। एक तरफ तो प्रदेश...

शिलाई (ब्यूरो) : प्रदेश सरकार के 2 साल पूरे हो चुके हैं। प्रदेश सरकार विकास के दावों को लेकर जो बड़ी-बड़ी बातें कर रही है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करें तो सभी इन बड़े-बड़े वादों की पोल खुल जाती है। धरातल की सच्चाई से हम आपको रूबरू करवाते हैं। एक तरफ तो प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नई-नई बिल्डिंग बनवाने के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

वहीं जिला सिरमौर के ट्रांस गिरी क्षेत्र के शिलाई के अंतर्गत माटला राजकीय प्राथमिक पाठशाला की बिल्डिंग एक तो बड़े हादसे को न्योता दे रही है और दूसरी अगर देखा जाए तो खंडहर से भी कम नहीं नजर आती है। गौरतलब है कि पुरानी बिल्डिंग बिल्कुल खंडार बनी हुई है बिल्डिंग के छत में लगी थी ने पत्थरों से रोकी गई है और जो नया कमरा छात्रों के लिए बनाया गया था उसकी दीवारों में दरारें आ चुकी है कभी भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है।
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क्या कहते हैं लोग

कड़ाके की ठंड वाह बारिश में भी छात्रों को बाहर ब्रांडे में बैठना पड़ पढ़ाई करनी पड़ रही है ऐसे में स्कूल में पढ़े 34 छात्रों के अभिभावकों रोज अपने बच्चों की चिंता सताती रहती है स्थानीय निवासी ने कहा की जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण लाखों रुपए की लागत से बनी राजकीय प्राइमरी स्कूल की यह बिल्डिग खंडहर में तबदील होती जा रही है। इतना ही नहीं इस बिल्डिग में साफ सफाई का भी अभाव है। कई बार जिला प्रशासनिक व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस बारे में अवगत करवाया गया है पर कोई कार्रवाई अभी तक अमल में नहीं लाई गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि छात्र के दोनों दलों के नेताओं व प्रदेश के मुखिया को भी डेपुटेशन लेकर ग्रामीणों ने इस समस्या से अवगत कराया गया है लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। यही नहीं एक और बिल्डिंग की समस्या तो दूसरी और अध्यापकों की समस्या एक अध्यापक के सारे पूरा स्कूल चल रहा है। स्कूल में मौजूद अध्यापक को तो कागजी कार्रवाई करने में भी आधा समय निकल जाता है। ऐसे में कैसे छात्रों को पढ़ा पाएंगे गांव के परिजनों का एक ही सवाल है छात्रों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है इसके जिम्मेवार कौन हैं।
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स्कूल के हेड मास्टर ने बताया कि पुरानी बिल्डिंग बिल्कुल खंडहर घोषित कर दी गई है। छात्रों के लिए एक कमरा बनाया गया था उसमें भी दरारें आनी शुरू हो गई है। अगर छात्रों को कमरे के अंदर पढ़ाया जाए तो छत गिरने से कभी भी हादसा हो सकता है इसलिए पुरानी बिल्डिंग में ही छात्रों को पढ़ाना पड़ रहा है। इस बारे में उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर शिकायत दे दी है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार छात्रों की समस्या का समाधान के लिए प्रशासन कोई सख्त कार्यवाही करेगा।

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