Edited By Vijay, Updated: 18 Sep, 2019 10:06 PM
सरकार द्वारा गरीब व असहाय लोगों के लिए ही अस्पताल जैसे संस्थान बनाए हैं ताकि जरूरत पर वह अपना इलाज करवा सकें लेकिन कई बार स्टाफ सही न होने के चलते सरकार की योजनाओं का सही लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है।
नाहन: सरकार द्वारा गरीब व असहाय लोगों के लिए ही अस्पताल जैसे संस्थान बनाए हैं ताकि जरूरत पर वह अपना इलाज करवा सकें लेकिन कई बार स्टाफ सही न होने के चलते सरकार की योजनाओं का सही लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है। ऐसा ही मामला मैडीकल कॉलेज नाहन में आया है। यहां रात को करीब 12 बजे एक मजबूर मां हरचरण कौर अपने बेसुध हुए करीब 45 वर्षीय बेटे हीरा सिंह को चालक की मदद से टैम्पो में डालकर लाई लेकिन यहां रोगी का सही इलाज करने की बजाय स्टाफ ने सुबह ओपीडी में दिखाने को कहकर बाहर भेज दिया गया। इसके बाद मजबूर मां व बेटा पूरी रात अस्पताल परिसर में दिन होने का इंतजार करते रहे।
24 घंटे बीत जाने के बाद अस्पताल में भर्ती किया रोगी
सुबह हुई और अस्पताल में चहलपहल शुरू हुई तो महिला चिकित्सकों के चक्कर काटती रही। इसके बाद आखिरकार एमएस के आदेश पर करीब 24 घंटे बीत जाने के बाद दोपहर को करीब 12 बजे रोगी को अस्पताल में भर्ती किया गया, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यदि रोगी की मौत हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता। क्या गरीब और मजबूर का कोई नहीं है। उधर, सूत्रों की मानें तो आपातकाल वार्ड में इसलिए दाखिल नहीं किया गया कि किसी अन्य रोगी की हालत खराब न हो जाए लेकिन क्या मैडीकल कॉलेज में रात में अन्य किसी वार्ड में जगह नहीं थी।
क्य पता था चोट इतनी बड़ी बीमारी बन जाएगी
मीडिया को हरचरण कौर ने रुंधे स्वर में बताया कि गरीबों का कोई नहीं है। उसके बेटे हीरा सिंह के पांव में चोट लगी थी। इसके बाद उन्हें जानकारी नहीं थी कि यह चोट बड़ी बीमारी बन जाएगी। रात तो अचानक बेटा बेसुध हो गया और बोलना बंद कर दिया। इसके बाद वह घबरा गई। इस दौरान उन्होंने 108 नंबर पर फोन करवाकर एम्बुलैंस की मदद मांगी लेकिन एम्बुलैंस किसी अन्य केस में व्यस्त होने के चलते 2 घंटे तक इंतजार करने को कहा गया, ऐसे में उन्होंने एक टैम्पो चालक से मदद मांगी और टैम्पो में डालकर किसी तरह बेटे को मैडीकल कॉलेज पहुंचाया। मैडीकल कॉलेज में उन्हें कहा गया कि यह केस सर्जिकल वार्ड से संबंधित है और सुबह ओपीडी में दिखाना। पीड़िता ने बताया कि उसने बेटे को दाखिल करने की मिन्नतें कीं लेकिन उनकी एक न सुनी गई। इसके बाद बेटे के साथ उसने अस्पताल परिसर में रात बिताई। बेटे के पांव के घाव पर कीड़े चल रहे थे लेकिन फिर भी उसे दाखिल नहीं किया गया।
इलाज का खर्च भी उठाने में असमर्थ
हरचरण कौर ने बताया कि उसका बेटा स्वस्थ था तो वह मेहनत कर कमा रहा था। अब कोई कमाने वाला नहीं है। जो पैसे उनके पास थे वह इलाज के लिए खर्च कर चुके हैं, ऐसे में अब उनके पास इलाज के लिए पैसे भी नहीं हंै। उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है ताकि उनके जिगर के टुकड़े की जान बच सके।
क्या बोले मैडीकल कॉलेज के एमएस
मैडीकल कॉलेज नाहन के एमएस डॉ डीडी शर्मा ने बताया कि कि मामला संज्ञान में आने के बाद संबंधित विभाग के एचओडी को उक्त रोगी को दाखिल करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद रोगी को दाखिल कर इलाज किया जा रहा है।