Edited By kirti, Updated: 16 Oct, 2018 06:10 PM
सिरमौर जिला के गिरीपार क्षेत्र में पारंपरिक तरीके से मक्की के सत्तू की परंपरा आज भी जारी है। इन दिनों क्षेत्र में सत्तू बनाने का काम चल रहा है। दरअसल सत्तू एक पारंपरिक पौष्टिक आहार है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। क्षेत्र केे लोगों...
सिरमौर(सतीश) : सिरमौर जिला के गिरीपार क्षेत्र में पारंपरिक तरीके से मक्की के सत्तू की परंपरा आज भी जारी है। इन दिनों क्षेत्र में सत्तू बनाने का काम चल रहा है। दरअसल सत्तू एक पारंपरिक पौष्टिक आहार है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। क्षेत्र केे लोगों का कहना है कि मक्की के सतु का इस्तेमाल एक साल तक किया जा सकता है यानि एक बार बनाया गया सतु 1 साल तक खराब नही होता। सत्तू बनाने के लिए मक्की को मिट्टी और पत्थर से बने भाट (एक प्रकार का चूल्हा) में भुना जाता है। पारंपरिक भोजन सत्तू को लस्सी के साथ मिलाकर खाया जाता है। सतु में कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है यहीं कारण है कि स्थानीय लोगो द्वारा इसे अक्सर खाने में इस्तेमाल में लाया जाता है। लोगो का कहना है कि सतु बनाने की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है।
गौरतलब है कि सतु को लेकर हिमाचल के पहले सीएम डॉ वाईएस परमार ने अमेरिका में आयोजित सेमिनार के दौरान कहा था कि मेरे प्रदेश में एक ऐसा भोजन है जिसे एक बार तैयार करने के बाद 1 साल तक खाया जाता है।