हिमाचल का जर्मनी से आयुर्वेद व कृषि क्षेत्र में निवेश को लेकर MOU साइन

Edited By Vijay, Updated: 12 Jun, 2019 11:22 PM

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धर्मशाला में होने वाली ग्लोबल इन्वैस्टर मीट से पहले निवेशकों को न्यौता देने जर्मनी पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को उस समय बड़ी सफलता मिली जब प्रदेश सरकार के साथ फ्रैंकफर्ट इनोवेशन जैंटरम (एफ .आई.जैड.) के साथ करार (एम.ओ.यू.) हुआ। इसके तहत जर्मनी...

शिमला: धर्मशाला में होने वाली ग्लोबल इन्वैस्टर मीट से पहले निवेशकों को न्यौता देने जर्मनी पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को उस समय बड़ी सफलता मिली जब प्रदेश सरकार के साथ फ्रैंकफर्ट इनोवेशन जैंटरम (एफ .आई.जैड.) के साथ करार (एम.ओ.यू.) हुआ। इसके तहत जर्मनी आयुर्वेद और जीनोमिक्स, सटीक चिकित्सा और कृषि क्षेत्र में जर्मनी निवेश करेगा। इस करार के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जलवायु औषधीय खेती के लिए अनुकूल है। राज्य सरकार सभी इच्छुक उद्यमियों को राज्य में अपनी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि हैल्थकेयर और वैलनैस सैक्टरों में आयुर्जीनोमिक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मुख्यमंत्री ने जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में संबोधित किया रोड शो

मुख्यमंत्री ने इसके अलावा भारतीय वाणिज्य दूतावास तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) के सहयोग से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में आयोजित रोड शो को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मा और बिजली आदि क्षेत्रों में निवेश की अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रमुख संस्थानों की उपस्थिति से राज्य में प्रतिभा और शैक्षणिक ईको सिस्टम उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य का ईज ऑफ डुइंग रिफॉर्मज तथा एकल खिड़की अधिनियमों में तेजी से विकसित होने वाले राज्यों की श्रेणी में शीर्ष पर होना प्रदेश में निवेशकों को सेवाएं प्रदान करने में कुशलता, पारदर्शिता, समयबद्धता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

राज्य पर्यटन के क्षेत्र में निवेशकों को प्रदान करता है अनेक विकल्प

उन्होंने कहा कि राज्य पर्यटन के क्षेत्र में निवेशकों को पर्यटन, वन्य जीवन, पर्यावरण, आध्यात्मिक, स्मारक, धार्मिक व स्कीइंग आदि जैसे अनेक प्रकार के विकल्प प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 300 फार्मा कंपनियां तथा 700 से अधिक फार्मा फॉर्मन्यूलेशन निर्माण इकाइयां क्रियाशील हैं और प्रदेश एशिया के फार्मास्यूटिकल हब के तौर पर जाना जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य सेब, पलम, आड़ू, किवी, अखरोट और नाशपाती जैसे फ लों का प्रमुख उत्पादक है। राज्य में खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं हैं।

पर्यटन और जल विद्युत जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए अनुकूल माहौल

उन्होंने कहा कि पर्यटन, आयुष, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलैक्ट्रॉनिक्स और जल विद्युत जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए अनुकूल माहौल है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला में होने वाली ग्लोबल इन्वैस्टर मीट पर्यटन, आयुष एवं वैलनैस, उत्पादन, फार्मास्यूटिकल, रियल एस्टेट, जल विद्युत, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण जैसे प्रगतिशील क्षेत्रों की वृहद शृंखला पर ध्यान केद्रिंत रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि राज्य में पर्यटन, आयुष, फार्मास्यूटिकल,कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल जैसे मुख्य क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता है।

प्रदेश में पहले से जर्मन कंपनियां क्रियाशील

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में जर्मनी की कंपनियां क्रियाशील हैं। उन्होंने कहा कि 37.61 मिलियन यूरो की राशि से स्थानीय समुदायों की अनुकूलक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए क्लाइमेट रूङ्क्षफ ग परियोजना (के.एफ .डब्ल्यू.) शुरू की गई थी, जबकि वर्ष 2016 में जी.आई.जैड. और हिमाचल सरकार के बीच पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को संस्थागत बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं एच.पी.एफ .ई.एस. परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा न्यू टेक फि ल्टर्स, बी.ए.एस.एफ .ए. एडेलमैन हैंकेल, एरिस्टो फ ार्मा और फैडरल मोगुल जैसी कई जर्मन कंपनियां राज्य में सक्रिय हैं। इससे पूर्व हिमाचल के प्रतिनिधिमंडल ने जर्मन-भारतीय राऊंड टेबल के अध्यक्ष तथा सदस्यों के साथ बैठक की और हिमाचल प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की। उद्योग मंत्री विक्रम सिंह के अलावा अधिकारियों का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद था।

मेड इन जर्मनी ट्रेडमार्क की गुणवत्ता विश्व विख्यात

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जर्मनी में रोड शो का आयोजन इसलिए करवाया है क्योंकि मेड इन जर्मनी ट्रेडमार्क की गुणवत्ता विश्वविख्यात है तथा हिमाचल सरकार इसका अनुसरण राज्य में करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जर्मनी की कंपनियां योजना बनाने में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में भी इस विशेषज्ञता को लागू करने के लिए हिमाचल जर्मनी की कंपनियों का सहयोग चाहता है। उन्होंने कहा कि अभी तक देश में 1,600 से अधिक ईडो-जर्मन सहकार्य और 600 से अधिक संयुक्त उद्यम क्रियाशील हैं।

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