चमत्कारिक इस मंदिर में मां करती है हर बीमारी का इलाज, कहानी सुन दंग रह जाएंगे

Edited By kirti, Updated: 19 Jan, 2020 01:04 PM

mother treats every disease in the temple

मंडी जिला में करसोग तहसील की मैहरन पंचायत के अंतर्गत आने वाले शराणी श्रेओ गांव में ऐसा चम्तकारिक मंदिर है जिसकी कहानी सुन कर दंग रह जाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि दाद-खाज, खुजली व किसी भी तरह के चर्मरोग व अन्य बिमारियों से परेशान हैं तो एक बार जरूर...

मंडी(ब्यूरो) : मंडी जिला में करसोग तहसील की मैहरन पंचायत के अंतर्गत आने वाले शराणी श्रेओ गांव में ऐसा चम्तकारिक मंदिर है जिसकी कहानी सुन कर दंग रह जाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि दाद-खाज, खुजली व किसी भी तरह के चर्मरोग व अन्य बिमारियों से परेशान हैं तो एक बार जरूर माता जोगणी के दरबार पहुंचे। वह हर बिमारी का इलाज अपने चम्तकारों से करती है। यह दावा किया है गांव के स्थानीय लोगों ने जो सदियों से माता जोगणी के दरबार में बहुत श्रद्धा के साथ पुजा-अर्चना करते हैं। करसोग क्षेत्र में जोगणी माता अपने चमत्कारों से लोगों के चर्म रोगों का अंत कर देती हैं।
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इसलिए इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से भी पुकारा जाता है। हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखता है। यहां की देव परंपराएं, रहस्य और पौराणिक कहानियां सबको अपनी ओर खींचती हैं. यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है और इसीलिए हिमाचल को देवभूमि भी कहा जाता है। मंडी के करसोग क्षेत्र के लोगों का दावा है कि माता जोगणी के दर पर हर बीमारी का इलाज होता है। जोगणी माता के मंदिर में ऐसे मरीज पहुंचते हैं जिनको बड़े-बड़े अस्पतालों और डॉक्टरों के पास से निराशा हाथ लगती है। इसलिए स्थानीय लोग इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से जानते हैं। माता के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी बीमारी का इलाज ढूंढते हुए पहुंचते हैं। जोगणी माता से बीमारी को ठीक करने के लिए लोग मन्नतें मांगते हैं।

महामारी से बचा लिया था पूरा गांव
गांव के बुजुर्ग जगत राम का कहना है कि सदियों पहले इलाके में महामारी फैली थी. इस भयंकर बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। इलाके के जाने-माने वैद्य भी बीमारी पर काबू पाने में नाकामयाब रहे. उस समय यहां माहूंनाग काकनो ने जोगणी माता को बीमारी पर काबू पाने के लिए प्रकट किया था। माता की चमत्कारिक शक्तियों से बीमारी कुछ ही दिनों में दूर हो गई थी। जिसके बाद नाग देवता ने माता जोगणी को अपने साथ रहने के लिए कहा, लेकिन जोगणी माता ने शराणीश्रेयो में छोटी सी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर के नीचे बनी छोटी सी गुफा को रहने के लिए चुना।
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भोग के लिए आते हैं कौवे
मरीज माता के दरबार में अपनी बीमारी ठीक होने की मन्नत मांगते हैं। जब भक्तों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वह मंदिर में आटे और गुड़ से हलवा और पुरी तैयार कर माता को भोग लगाता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस दिन मंदिर के बाहर माता के भोग के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है तो वहां बड़ी तादाद में चमत्कारी ढंग से कौए पहुंच जाते हैं। मंदिर के पास कौओं की तादाद माता के प्रसन्न होने का प्रतीक माना जाता है। लोगों की मानें तो इस इलाके में दूर-दूर तक कौवो का कोई नामो निशान आम दिनों में नहीं दिखता, लेकिन माता को प्रसाद चढ़ाने वाले दिन कौवों की ये तादाद सबको हैरान कर देती है। यानि स्थानीय लोग इन कौवों को माता जोगणी देवी का दूत मानते हैं और माता को भोग लगाने के बाद कौवों को भी प्रसाद देते हैं

गुफा में निवास करती है माता जोगणी
माता जोगणी ने गांव के पास एक गुफा को अपना निवास बनाया हुआ है। लोगों की मान्यता है कि अगर सही ढंग से पड़ताल की जाए तो माता की यह गुफा सच में अपने भीतर कई रहस्यों को छिपाए बैठी है। लोगों की विश्वास और आस्था के आगे विज्ञान भी अपने घुटने टेक देगा. यही वह कारण है, जो देवभूमि हिमाचल को सबसे अलग बनाता है।

 

 

 

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