अगर आपको भी पसंद है Fast Food तो एक बार पढ़ें यह खबर

Edited By kirti, Updated: 29 Apr, 2019 03:06 PM

momos and golgappe

गर्मियों में बीमारी होने का अधिक खतरा रहता है। अगर आपने बाहर खुले में बेचे जा रहे मोमोज और गोल-गप्पे खाए तो कभी भी बीमार हो सकते हैं। शहर की अगर बात की जाए तो यहां पर सड़क पर बैठे रेहड़ी-फड़ी वाले गोल-गप्पे और मोमोज खुले में बेच रहे हैं। इनके खाद्य...

शिमला : गर्मियों में बीमारी होने का अधिक खतरा रहता है। अगर आपने बाहर खुले में बेचे जा रहे मोमोज और गोल-गप्पे खाए तो कभी भी बीमार हो सकते हैं। शहर की अगर बात की जाए तो यहां पर सड़क पर बैठे रेहड़ी-फड़ी वाले गोल-गप्पे और मोमोज खुले में बेच रहे हैं। इनके खाद्य पदार्थों की क्वालिटी कितनी सही है, इसका पता किसी को भी नहीं है। स्कूल-कॉलेज के बच्चे इन चीजों का सेवन करते हैं। लोग इसलिए भी खाते हैं कि रैस्टोंरैंट और ढाबों वालों से ये सस्ते बेचते हैं।

इनकी चैकिंग तभी होती है जब कभी गंभीर बीमारी फैल जाती है। हालांकि चिकित्सक भी समय-समय पर लोगों को जागरूक करते हैं कि बाहर की चीजें खाना बंद करें तभी आप स्वस्थ रह सकते हैं। शहर के लक्कड़ बाजार, पुराना बस स्टैंड से लोअर बाजार तक, छोटा शिमला व संजौली सहित कालीबाड़ी आदि में मोमोज और गोल-गप्पे खुले में बेचे जा रहे हैं। बिना किसी रोकटोक के रेहड़ी-फड़ी वाले 10 रुपए में मोमोज के 3-4 पीस दे रहे हैं। वहीं गोल-गप्पे वाले भी 30 से 40 के 5 से 6 पीस बेच रहे हैं।

बिना लाइसैंस के 30 प्रतिशत लोग बेच रहे मोमोज

शहर में 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जोकि बिना लाइसैंस के मोमोज बेच रहे हैं। इन्हें हटाना तो दूर की बात है इन्हें पूछा तक नहीं जा रहा है। यहां पर नगर निगम प्रशासन हो या फिर फूड एंड सेफ्टी विभाग दोनों ही रेहड़ी-फड़ी वालों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं।

पुलिस को देखकर भाग जाते हैं

जब शहर में पुलिस गुजर रही होती है तो मोमोज वाले भाग जाते हैं। कई बार पुलिस कर्मी इनका सामान उठाकर थाने और चौकी में ले गए हैं, बावजूद इसके ये मोमोज बेचने से नहीं मानते हैं। पुलिस भी इनका कुछ नहीं कर पा रही है। पुलिस को देखकर यह कुछ देर के लिए भागते हैं और बाद में वापस उसी जगह पर बैठ जाते हैं।

2016 में पीलिया फैलने पर हटाए थे रेहड़ी-फड़ी वाले

शिमला में जब 2016 में पीलिया फैला था तो उस दौरान अधिकारियों की नींद खुल गई थी। उस दौरान मोमोज और गोल-गप्पे बेचने वालों को हटा दिया था। हालांकि काफी समय बाद वे वापस बैठ गए थे। हिमाचल में उस दौरान एक वर्ष में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार पीलिया से 34 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 9,516 मामले पॉजीटिव आए थे।

 

 

 

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