सरकारी उपक्रमों को बेचने की जिद्द, देश के भविष्य के लिए घातक : राजेंद्र राणा

Edited By Vijay, Updated: 02 Aug, 2020 05:37 PM

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राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रैस बयान में कहा कि सत्ता हासिल करने से पहले निजीकरण का विरोध करने वाली बीजेपी के राज में अब करीब-करीब सभी सरकारी संस्थानों का निजीकरण तय है। दुर्भाग्य यह है कि जिन संस्थानों को बनाने व...

हमीरपुर (ब्यूरो): राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रैस बयान में कहा कि सत्ता हासिल करने से पहले निजीकरण का विरोध करने वाली बीजेपी के राज में अब करीब-करीब सभी सरकारी संस्थानों का निजीकरण तय है। दुर्भाग्य यह है कि जिन संस्थानों को बनाने व संवारने में कांग्रेस ने लंबा समय व लंबा संघर्ष लगाया है, अब सरकार कांग्रेस की वर्षों की इस मेहनत पर पानी फेरने जा रही है। निजीकरण के समाचारों की सुर्खियां बता रही हैं कि अब रेल ही नहीं रेलवे स्टेशन तक भी बिकेंगे। बैंक और बीमा कंपनियों को फरोख्त करने की तैयारी जारी है। दक्षिण-पूर्वी रेलवे के 4 डिवीजन से 3681 पोस्टें खत्म की जा रही हैं जबकि रांची रेलवे डिवीजन को 100 पोस्टें सरैंडर करने का आदेश आ चुका है।

उन्होंने कहा कि 950 करोड़ में बीएसएनएल को बेचने की तैयारी पूरी कर ली गई है। पैसेंजर ट्रेनें अब निजी कंपनियों के हवाले होंगी। रेलवे ने 109 प्राइवेट ट्रेन चलाने के रास्ते को हरी झंडी दे दी है, जिसमें स्टाफ से लेकर ट्रेन चलाने वाले भी विदेशी हो सकते हैं। रेलवे में रिटायरमैंट से खाली हो रही 50 फीसदी पोस्टें खत्म करके युवाओं के सपनों पर कुठाराघात किया गया है। इतना ही नहीं, देश में अब राष्ट्रीय राजमार्गों को बेच कर हजारों करोड़ इकट्ठा करने के मंसूबे लगातार जारी हैं। देश में सरकारी बैंकों की संख्या को 1 दर्जन से घटाकर 5 करने की तैयारी चल रही है। इस दिशा में पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक पर तलवार लटकी है।

उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि कोविड-19 संकट के बहाने सरकार नॉन कोर कंपनियों और सैक्टर में परिसंपत्तियां बेचकर धन जुटाने के लिए निजीकरण योजना पर काम कर रही है। कई सरकारी समितियों और रिजर्व बैंक की मानें तो देश में अब 5 ही बैंक होंगे जबकी दूसरी ओर सरकार यह कह चुकी है कि अब सरकारी बैंकों में से किसी बैंक का भी विलय नहीं होगा, ऐसे में कुछ सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचने का ही एकमात्र विकल्प बचता है, जिस पर सरकार लगी हुई है। सरकार ने पिछले साल 10 सरकार बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाने का फैसला लिया था। अब सरकार ऐसे में बैंकों की हिस्सेदारी निजी क्षेत्रों में बेचने की तैयारी कर रही है, जिनका विलय नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि घोर आर्थिक संकट व महामारी के दौर में देश में निजीकरण की सरकारी जिद्द भारत के भविष्य के लिए घातक साबित होगी। आलम यह है कि बीजेपी के राज में अब जो कुछ बिक सकता है सरकार उसको बेचने पर आमादा है।

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