राजेंद्र राणा ने साधा निशाना, बोले-लगातार बढ़ रहा राजकोषीय घाटा सरकार के कुप्रबंधन की मिसाल

Edited By Vijay, Updated: 19 Feb, 2021 07:58 PM

mla rajender rana target on government

आर्थिक कंगाली के दौर में पहुंच चुके देश में सरकार के कुप्रबंधन के कारण वर्ष 2021 की शुरूआत में रैवन्यू डेफिसिट व फिजिक्ल डेफिसिट पाताल में समाता लग रहा है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कही है।

हमीरपुर (ब्यूरो): आर्थिक कंगाली के दौर में पहुंच चुके देश में सरकार के कुप्रबंधन के कारण वर्ष 2021 की शुरूआत में रैवन्यू डेफिसिट व फिजिक्ल डेफिसिट पाताल में समाता लग रहा है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ढहने की कगार पर जा पहुंची है। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा तब बढ़ता है जब सरकार का खर्च राजस्व से ज्यादा हो जाता है। चारों ओर ठहरी आर्थिक गतिविधियां सरकार के कुप्रबंधन के जनाजे को चीख-चीख कर बयान कर रही हैं। आम आदमी की तेजी से घट रही आमदन पर खर्चों का भार निरंतर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में थमे विकास के बावजूद अगर राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है तो यह सरकार के कुप्रबंधन की मिसाल है। देश की चरमराती अर्थव्यवस्था के बीच आत्मनिर्भर भारत का नारा सिर्फ नारा बन कर रह गया है। आम आदमी के खर्चे तेजी से बढ़ रहे हैं और आमदन निरंतर घट रही है। देश में चारों ओर फैली बेरोजगारी के कारण आम आदमी अस्त-व्यस्त व परेशान है। आर्थिक मंदी के दौर में पहुंचे कारोबारी लोग आयात शुल्क एवं अन्य अप्रत्यक्ष करों के भारी इजाफे के कारण हाल-बेहाल हैं। उन्होंने कहा कि वित्त विशेषज्ञों पर भरोसा करें तो कुल संग्रह में अप्रत्यक्षित करों का योगदान 56 फीसदी तक बढ़ गया है जोकि पिछले एक दशक में सर्वाधिक है।

रसातल की ओर जाती जीडीपी की वजह से आम नागरिक व राज्यों पर कर्जों का भार बढ़ा है। सरकार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए नाकाम सरकार बाजारू तर्ज पर सत्ता को व्यापार बनाने पर तुली हुई है। दुनिया की सभी क्रैडिट रेटिंग एजैंसियों की बात पर भरोसा करें तो आने वाला वक्त भारत के नागरिकों के लिए और भारी साबित हो सकता है। राजकोषीय घाटे का आकार और कहीं ज्यादा हो सकता है, जिससे आदमी की क्रय शक्ति और कम होने का खतरा मंडराने लगा है।उन्होंने कहा कि उद्योग, धंधे व कारोबार ठप्प पड़े हैं जबकि सरकार चंद पूंजीपतियों के दबाव में देश के संविधान व सिद्धांत को दांव पर लगाकर इन्हीं पूंजीपतियों की पैरवी में लगी है। सार्वजनिक व्यय और सार्वजनिक निवेश का बुनियादी ढांचा पूरी तरह चरमरा चुका है।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के दौर में रोजगार के अवसर निरंतर घट रहे हैं। विनिमय निर्माण क्षेत्र धड़ाम हो चुका है। कर अनुपालन व भुगतान की जटिल समस्या से हर छोटा-बड़ा व्यापारी परेशान है जबकि जीएसटी का क्रियान्वयन छोटे व्यापारियों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। निर्यात और निजी निवेश लगातार घट रहा है जबकि भ्रष्टाचार लगातार फलफूल रहा है, ऐसे में केंद्र सरकार से आम नागरिकों का ही नहीं भाजपा शासित राज्य सरकारों का भी भरोसा निरंतर उठ रहा है क्योंकि सरकार लगातार राज्य सरकारों के हकों व हितों पर तानाशाही तरीके से डाका डाल रही है जोकि देश के भविष्य के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!