भ्रष्टाचार व खुद की जंग में बेबस व लाचार हो चुकी है सरकार : राजेंद्र राणा

Edited By Vijay, Updated: 12 Jun, 2020 08:35 PM

mla rajender rana target on government

प्रदेश का राजनीतिक इतिहास गवाह बना है कि जब-जब बीजेपी सरकार सत्ता में आई है तब-तब प्रदेश की सियासत से जनता का विश्वास निरंतर उठा है। मामला अढ़ाई साल तक चली शांता सरकार का हो या 1998 में सुखराम की बैसाखियों का सहारा लेकर बनी गठबंधन की सरकार का हो,...

शिमला (ब्यूरो): प्रदेश का राजनीतिक इतिहास गवाह बना है कि जब-जब बीजेपी सरकार सत्ता में आई है तब-तब प्रदेश की सियासत से जनता का विश्वास निरंतर उठा है। मामला अढ़ाई साल तक चली शांता सरकार का हो या 1998 में सुखराम की बैसाखियों का सहारा लेकर बनी गठबंधन की सरकार का हो, बीजेपी न संगी-सहयोगियों की आकांक्षाओं पर खरी उतर पाई है और न ही जनभावनाओं पर। 1998 की गठबंधन सरकार में बीजेपी के 8 विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ 52 दिन धरने पर बैठे रहे व 2007 का कार्यकाल अपना दामन भरने व अपनों को खुड्डेलाइन लगाने में बीता। इस तरह जब-जब प्रदेश में बीजेपी सरकार बनी है, तब-तब भ्रष्टाचार बढ़ा है, प्रदेश का विकास रुका है। अफसरशाही बेलगाम रही है। इस तरह बीजेपी सरकारों का सारा कार्यकाल आपसी धींगामुश्ती में खराब हुआ है। यब बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने प्रैस बयान में कही है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के ताजा सियासी घटनाक्रम की अगर बात करें तो केंद्र द्वारा पूरी तरह नियंत्रित बीजेपी सरकार लैटर बॉक्स साबित हो कर रह गई है। जिसका काम ऊपर की चिट्ठी नीचे और नीचे की चिट्ठी ऊपर पहुंचाना भर रह गया है। बेलगाम भ्रष्टाचार के बीच अब प्रचंड बहुमत से जीती बीजेपी सरकार में सरकार और संगठन आमने-सामने हैं। संगठन की सुनें तो भ्रष्टाचार के आरोप सरकार के मंत्री, विधायकों पर लग रहे हैं और मंत्री, विधायकों की मानें तो वे प्रत्यक्ष और परोक्ष में निरंतर चले आ रहे बेखौफ भ्रष्टाचार के लिए संगठन को जिम्मेदार मानते हैं, ऐसे में सरकार और संगठन अपने-अपने जुगाड़ में एक-दूसरे के रडार पर हैं। प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़े हैं। केंद्र द्वारा नियंत्रित व बेबस प्रदेश सरकार को 2-4 अफसरशाही की जुंडली मनमर्जी से हांक रही है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के दौर में निरंतर एक के बाद एक भ्रष्टाचार के खुलासों ने प्रदेश की सियासी छवि को दागदार व शर्मसार किया है। राणा ने कहा कि अब बीजेपी के अपने ही विधायक धवाला के आक्रोश की ज्वाला की धधक सरकार व संगठन को तपाए हुए है। अपने ही असंतुष्टों व रुष्टों की जमात ने बीजेपी सरकार को निशाने पर रखा हुआ है। जबकि पक्ष और विपक्ष की आपसी गपशप में विपक्ष से ज्यादा पक्ष के लोग सरकार को नाकाम बता रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का सारा ध्यान आपसी बगावत को रोकने व कुर्सी को बचाने में लगा है क्योंकि अब प्रचंड बहुमत से जीती सरकार की कुर्सी को गैरों की बजाय अपनों से खतरा निरंतर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में मुख्यमंत्री की एक टांग संगठन के पाले में है जबकि दूसरी टांग सरकार को संभाले है। सरकार और संगठन के हर छोटे-बड़े फैसले का दारोमदार केंद्र के पास सुरक्षित है, ऐसे में जहां प्रदेश की जनता सरकार से पूरी तरह हताश-निराश हो चुकी है, वहीं सरकार कोई फैसला न ले पाने की स्थिति में खुद को लाचार व बेबस मान रही है। उन्होंने कहा कि जानकार बताते हैं कि जब-जब बीजेपी सत्तासीन हुई है तब-तब प्रदेश विकास में दशकों पीछे चल गया है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

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