Edited By Vijay, Updated: 26 Feb, 2020 05:13 PM
कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने विधानसभा में कर्मचारियों के तबादला उत्पीड़न पर सरकार को घेरते हुए पूछा कि अब तक सरकार ने किस-किस विभाग में कितने तबादले किए हैं। इसी प्रश्न में उन्होंने यह भी जानना चाहा कि कितने तबादले टीटीए के साथ और कितने तबादले...
हमीरपुर (ब्यूरो): कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने विधानसभा में कर्मचारियों के तबादला उत्पीड़न पर सरकार को घेरते हुए पूछा कि अब तक सरकार ने किस-किस विभाग में कितने तबादले किए हैं। इसी प्रश्न में उन्होंने यह भी जानना चाहा कि कितने तबादले टीटीए के साथ और कितने तबादले बिना टीटीए किए हैं। प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि 31 जुलाई, 2019 तक के विभिन्न विभागों में हुए तबादलों का आंकड़ा सरकार के पास मौजूद है। इस आंकड़े के अनुसार 53,680 तबादले किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी माना कि पिछली सरकार की तुलना में इस अवधि के दौरान ज्यादा तबादले हुए हैं। राजेंद्र राणा ने इसी प्रश्न में यह भी जानना चाहा कि कितने तबादले एडमिनिस्ट्रेटिव ग्राऊंड पर हुए हैं। इस प्रश्न को लेकर विधानसभा में खूब हंगामा हुआ, जिसको लेकर विपक्ष ने बदला-बदली नहीं चलेगी को लेकर वॉकआऊट भी किया।
विधानसभा सत्र के बाद राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में सरकार को फिर घेरते हुए कहा है कि बीजेपी के सत्ताकाल के तबादलों का सरकार के पास 31 जुलाई, 2019 तक का ही आंकड़ा था लेकिन अब करीब सवा 2 वर्ष का सत्ताकाल का समय जोड़ दिया जाए तो इस हिसाब से सरकार अब तक के रहे कुल सत्ताकाल की अवधि में करीब 1 लाख से ज्यादा तबादले कर चुकी है जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार अगर कर्मचारियों को राजनीतिक एजैंट की नजर से देखेगी तो ये कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कर्मचारियों की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि तबादलों के खौफ में कर्मचारी अपना काम अपनी योग्यता के अनुसार नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण प्रदेश में प्रशासनिक व विकास कार्य निरंतर प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इतनी भारी तादाद में तबादले ये बताते हैं कि जयराम सरकार को अपने ही कर्मचारियों पर भरोसा नहीं है और वह उन्हें बदल-बदल कर लगातार प्रताड़ित कर रही है। सरकार द्वारा कर्मचारियों पर अविश्वास की यह स्थिति अपरिपक्व राजनीति का परिचायक है। सरकार को अपने कर्मचारियों पर भरोसा करना सीखना होगा। अगर सरकार का बदला-बदली का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब नाहक प्रताड़ता से पीड़ित व आक्रोशित कर्मचारी वर्ग बीजेपी सरकार के खिलाफ झंडा बुलंद करेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार यह न भूले कि इस प्रदेश में कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा है, ऐसे में नाहक तबादलों से कर्मचारियों के परिवारों को भी परेशानी होती है। शायद यही कारण है कि करीब सवा 2 वर्ष की बीजेपी के कार्यकाल की अवधि में कर्मचारियों के परिवारों में सरकार के खिलाफ विरोध का लावा उबलने लगा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी परिवारों का यह विरोध अगर विद्रोह में बदला तो इसके कोप का भाजन सरकार को ही बनना होगा। उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकांश तबादले बिना टीटीए किए गए हैं और उनमें कोई बड़ा एडमिनिस्ट्रेटिव ग्राऊंड भी नहीं रहा है।
उन्होंने कर्मचारियों की वकालत करते हुए कहा कि तबादला कोई हल नहीं है, इसलिए गैर-जरूरी तबादलों से सरकार को बचना चाहिए था क्योंकि ऐसे अधिकांश तबादले केवल बदले की भावना व शक-संदेह के आधार पर किए गए हैं। कर्मचारियों को कोई भी सरकार अपने राजनीतिक एजैंट के तौर पर स्थापित नहीं कर सकती है। सरकार के प्रति कर्मचारियों का भरोसा टूटना व इस वर्ग में तबादलों का खौफ होना दुर्भाग्यपूर्ण है जो सरकार की सवा 2 वर्ष की कारगुजारी को कटघरे में खड़ा कर रहा है।