स्कूलों में प्रधानाचार्य और हैडमास्टर के 300 से अधिक पद खाली

Edited By kirti, Updated: 12 Nov, 2019 10:30 AM

minister of education

नवम्बर माह शुरू हो गया है, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक प्रधानाचार्य पद पर पात्र शिक्षकोंं को पदोन्नति नहीं दी है, जबकि साल में दो बार प्रधानाचार्यों की पदोन्नति सूची जारी होती है। ऐसे में शिक्षक संगठनों ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर उनसे ये सूची...

शिमला/नगरोटा बगवां(ब्यूरो): नवम्बर माह शुरू हो गया है, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक प्रधानाचार्य पद पर पात्र शिक्षकोंं को पदोन्नति नहीं दी है, जबकि साल में दो बार प्रधानाचार्यों की पदोन्नति सूची जारी होती है। ऐसे में शिक्षक संगठनों ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर उनसे ये सूची जारी करने की मांग की है। प्रदेश हैडमास्टर ऑफिसर एसोसिएशन, प्रमोटी लैक्चरर एसोसिएशन व टी.जी.टी शिक्षकोंं ने संयुक्त पत्र लिख कर शिक्षा मंत्री को हैडमास्टर और प्रधानाचार्यों की पदोन्नति सूची जारी करने की मांग की है।

गौरतलब है कि प्रदेश के 300 सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में इस समय प्रधानाचार्य के पद खाली चल रहे हैं। इसी तरह 90 हाई स्कूलों में हैडमास्टर के पद भी खाली हैं, जिससे स्कूलों में कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षकों ने इस दौरान शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उनसे प्रधानाचार्यों की पदोन्नति सूची पहले जारी करने की सिफारिश की है, ताकि इसके बाद खाली होने वाले हैडमास्टर के 170 पदों पर भी आगामी दिनों में शिक्षकों को पदोन्नति मिल सके। अभी स्कूलों में हैडमास्टर के 90 पद खाली हैं। ऐसे में स्कूलों में हैडमास्टर के कुल 260 पद खाली हो जाएंगे, जिसे सरकार एक साथ भर सकेगी।

कोटे से 170 हैडमास्टरों को पदोन्नति मिलने के बाद सेे पद खाली हो जाएंगे। शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री से जल्द से जल्द ये सूची जारी करने की मांग की है। इसके साथ ही शिक्षकों ने प्रदेश में खाली चल रहे उपनिदेशकों के 6 पदों को भी जल्द भरने की सिफारिश की है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष पठानिया, महासचिव एस.पी. चड्ढा व कार्यालय सचिव ए.सी. किमटा ने कहा कि प्रदेश के बहुत से विद्यालयों में प्रधानाचार्यों व मुख्याध्यापकों के पद रिक्त पड़े होने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ रहा है। पठानिया ने अध्यापकों की पुरानी पैंशन बहाल करने की मांग दोहराते हुए प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि सभी कर्मचारियों को कम्पनियों के चंगुल से छुड़ा कर जी.पी.एफ . के दायरे में लाया जाए।

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