मंत्री किशन कपूर धर्मशाला आयुर्वेदिक अस्पताल पहुंचे तो चढ़ गया गुस्सा, कुर्सी से सारे साहब गायब

Edited By Ekta, Updated: 06 May, 2018 02:30 PM

minister kishan kapoor dharmshala ayurvedic hospital arrived at got angry

जिला कांगड़ा मुख्यालय धर्मशाला स्थित जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर शनिवार को जब औचक निरीक्षण किया तो वह हैरान रह गए। उन्होंने वहां देखा कि कार्यालय में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी मौके पर उपस्थित नहीं था। दोनों में...

धर्मशाला (जिनेश): जिला कांगड़ा मुख्यालय धर्मशाला स्थित जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर शनिवार को जब औचक निरीक्षण किया तो वह हैरान रह गए। उन्होंने वहां देखा कि कार्यालय में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी मौके पर उपस्थित नहीं था। दोनों में स्टाफ गैर-हाजिर पाए जाने पर मंत्री ने हर कमरे में जाकर अधिकारियों व कर्मचारियों की खाली पड़ी कुर्सियों के साथ फोटो सोशल मीडिया और अपनी अधिकारिक फेसबुक वॉल पर अपलोड कर आयुर्वेदिक विभाग की कार्यप्रणाली को उजागर किया है। 
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कपूर ने इसके अतिरिक्त आयुर्वेदिक चिकित्सालय में संचालित किए जा रहे देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक पंचकर्म चिकित्सा केंद्र का भी निरीक्षण किया। यहां पर रखे गए उपकरण व सामान गंदगी से सटे पड़े थे जिस पर उपस्थित स्टाफ ने मंत्री को बताया कि इनका वर्तमान में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
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उपनिदेशक आयुर्वेदा धर्मशाला क्षेत्र के कार्यालय को भवन का उद्घाटन किए बिना शुरू कर दिया। इस कार्यालय में भी औचक निरीक्षण के दौरान न तो कोई कर्मचारी उपलब्ध था और न ही उपनिदेशक। इस भवन के विभिन्न कमरों में 3 सालों के उपरांत भी निर्माण सामग्री व गंदगी के ढेर लगे हुए थे। मंत्री ने आयुर्वेदा चिकित्सालय में उपचाराधीन रोगियों से उनका कुशलक्षेम जानकर उनको मिल रही सुविधाओं के संबंध में भी जानकारी हासिल की।
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नगर निगम कार्यालय के साथ बहुमंजिला भवन भ्रष्टाचार का नतीजा  
धर्मशाला नगर निगम, टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग व पर्यटन विभाग जहां जिला भर में अवैध निर्माणों को लेकर बड़ी कार्रवाई अमल में ला रहा है, वहीं निगम कार्यालय के साथ बनी बहुंमजिला भवन इन विभागों में बरती जा रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यह आरोप एक पत्रकार वार्ता में शनिवार को खाद्य आपूर्ति मंत्री ने लगाए। इस संपत्ति को तत्कालीन नगर परिषद ने कुछ हजार रुपए में किराए पर इस जनप्रतिनिधि को अलॉट कर दिया। इस जनप्रतिनिधि ने इस भवन पर निर्माण कर निजी कंपनियों को लाखों रुपए में सबलेट कर दिया। धर्मशाला को वार्षिक किराए के रूप में हजारों रुपए मिल रहे हैं जबकि यह जनप्रतिनिधि नगर निगम के भवन को सबलेट कर लाखों रुपए की कमाई कर रहा है। 
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इस संबंध में वर्ष 2010 में कानून का उल्लंघन करने पर मैजिस्ट्रेट जांच की गई। तत्कालीन एस.डी.एम. धर्मशाला ने जांच कर रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा की यह गैर-कानूनी है। इसके बावजूद न तो लीज कैंसिल हुई और न ही संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई अमल में लाई गई। कपूर ने आरोप लगाया कि यहां तक कि 2 वर्ष पूर्व जब नगर निगम धर्मशाला के चुनाव हुए उस समय भी चुनाव अधिकारी ने भी इस संबंध में संज्ञान नहीं लिया। किशन कपूर ने कहा कि शीघ्र ही इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश के मुख्यमंत्री को सौंप कर इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग करेंगे। कानून की उल्लंघना करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों व व्यक्तियों पर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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