4 साल बाद ताजा हुईं थलौट हादसे की यादें, एक-दूसरे को सांत्वना देते फूट-फूट कर रोए परिजन

Edited By Vijay, Updated: 09 Jun, 2018 01:11 AM

memories of thalot incident refersh after 4 years

वर्ष 2014 में थलौट ब्यास हादसे में मारे गए इंजीनियरिंग के 24 छात्रों के कुछ परिजन 4 वर्ष बाद शुक्रवार को हैदराबाद से मंडी पहुंचे और दोपहर बाद 5 से शाम 7 बजे तक हादसा स्थल थलौट में मृतक छात्रों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना सभा की।

मंडी (पुरुषोत्तम): वर्ष 2014 में थलौट ब्यास हादसे में मारे गए इंजीनियरिंग के 24 छात्रों के कुछ परिजन 4 वर्ष बाद शुक्रवार को हैदराबाद से मंडी पहुंचे और दोपहर बाद 5 से शाम 7 बजे तक हादसा स्थल थलौट में मृतक छात्रों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना सभा की। इस दौरान मृतक छात्रों के 7 परिजन छाती पीट-पीट कर रोते हुए एक-दूसरे को सांत्वना देते रहे। हादसे के वक्त जिस पत्थर पर 24 इंजीनियरिंग छात्र फोटो खिंचवा रहे थे, उसे परिजन करीब 2 घंटे तक एकटक निहारते रहे और अपने मोबाइल में उनके चित्र देख यादों में खो गए। इस दौरान मंडी प्रशासन की ओर से एक अधिकारी और औट पुलिस के जवान मौके पर मौजूद रहे।  


प्रोफैसर की गलत पहचान से नहीं मिली बेटे की लाश
के.आर.वी.के. प्रसाद का कहना है कि विगनाना ज्योति इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग कालेज के एक प्रोफैसर की गलत पहचान से उसके बेटे केसरी हर्षा की लाश उन्हें नहीं मिल पाई क्योंकि घटना के बाद प्रशासन ने उन्हें 5 दिन बाद वापस घर भेज दिया था और घर पहुंचते ही एम. शिवा प्रकाश की लाश तो आई लेकिन उनके बेटे केसरी हर्षा की लाश नहीं पहुंची। कुछ दिन बाद एम. शिवा प्रकाश के नाम से और लाश आ गई तो वे हैरान रह गए, जिससे उन्हें काफी मानसिक परेशानी हुई और डी.एन.ए. तक करवाना पड़ा। बाद में जांच से पता चला कि बच्चों के साथ घूमने गए कालेज के एक प्रोफैसर की गलत पहचान से उनके बेटे की लाश किसी और परिवार को भेज दी गई और उन्होंने उसका अंतिम संस्कार अपने बेटे की लाश समझ कर किया और बाद में जब दूसरी लाश आई तो वह उनके ही बेटे की निक ली, जिससे दोनों लाशों का अंतिम संस्कार एक ही परिवार कर पाया जबकि के.आर.वी.के. प्रसाद का परिवार आज भी बेटे की लाश के दर्शन से वंचित है। लिहाजा वे 4 वर्ष बाद सभी बच्चों की आत्मा की शांति के लिए थलौट आए हैं।


बेटे के जाने के बाद छोड़ दिया 144 करोड़ सलाना टर्न ओवर का कारोबार  
हादसे में अपने एकमात्र लाल ऋत्विक को खोने वाले राम मोहन राव अब बिना औलाद के अपनी पत्नी के साथ दिन काट रहे हैं। यहां नम आंखों के साथ राम मोहन राव ने कहा कि ऋत्विक और केसरी हर्षा आपस में दोस्त थे। दोनों साथ रहते थे और घटना के दिन उसने पौने 7 बजे बेटे के फोन पर बात करनी चाही तो उसके किसी साथी ने फोन उठाकर बताया कि उनका बेटा यहां बाजार में कहीं खो गया और फोन काट दिया। थोड़ी देर बाद टी.वी. पर समाचार आया कि हिमाचल में घूमने आए छात्र पानी में बह गए तो उससे उन्हें आघात लगा। एक अन्य अभिभावक ने बताया कि उनका एक ही बेटा था और उसकी जान चले जाने के बाद उन्होंने अपना 144 करोड़ सालाना टर्न ओवर का कारोबार करना ही छोड़ दिया है।


विगनाना ज्योति इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग कालेज पर चल रहा केस
परिजनों ने इस पूरे मामले में विगनाना ज्योति इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग कालेज की कथित लापरवाही पर कोर्ट केस कर रखा था और अब सुनवाई में यह बात सामने आई है कि कालेज प्रबंधन उनके बच्चों को इंडस्ट्रियल टूअर के बहाने यहां लाया और बिना स्थानीय कोच हायर किए बच्चों को रिस्की पर्यटन स्थलों की ओर ले गए, जिससे उनके बच्चों को अपने प्राण प्रबंधन के फैकल्टी मैंबर और गाइड की लापरवाही से त्यागने पड़े।

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