लोकायुक्त चयन को लेकर शिमला में मंथन, जानिए किसकी हो सकती है नियुक्ति

Edited By Vijay, Updated: 05 Jan, 2020 10:57 PM

meeting of selection committee about selection of lokayukta

हिमाचल प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति शीघ्र करने को लेकर रविवार को चयन समिति की बैठक हुई। पर्यटन निगम के होटल पीटरहॉफ में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी, नेता प्रतिपक्ष...

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति शीघ्र करने को लेकर रविवार को चयन समिति की बैठक हुई। पर्यटन निगम के होटल पीटरहॉफ में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने हिस्सा लिया।

सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की हो सकती है नियुक्ति

सूत्रों के अनुसार बैठक में लोकायुक्त की तैनाती को लेकर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को लेकर चर्चा की गई। करीब 1 घंटा चली इस बैठक में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए बने कानून का बारीकी से अध्ययन किया गया। इस कानून के तहत प्रदेश में लोकायुक्त के पद पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति हो सकती है। यह नियुक्ति 5 साल या 70 वर्ष की आयु पूरा करने तक प्रभावी मानी जाएगी।

अगली बैठक में लग सकती है मोहर

सूत्रों के अनुसार अगली बैठक में लोकायुक्त के पद के लिए हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त किसी मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नाम पर चर्चा होने के बाद उस पर मोहर लग सकती है। लोकायुक्त चयन प्रक्रिया को लेकर इससे पहले भी बैठक बुलाई गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की व्यस्तता के चलते इसका आयोजन नहीं हो पाया था।

फरवरी 2017 के बाद खाली चल रहा पद

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस शासनकाल में न्यायाधीश लोकेश्वर पांटा प्रदेश के लोकायुक्त थे लेकिन वर्ष 2017 फरवरी में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद यह पद खाली है। उनकी नियुक्ति के समय उनके नाम की सिफारिश तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तरफ से की गई थी। कांग्रेस सरकार ने जस्टिस पांटा को इस पद पर सेवाविस्तार देने के मकसद से कानून में संशोधन भी किया लेकिन केंद्र से इसे मंजूरी नहीं मिली। इसके बाद से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली पड़ा है, ऐसे में अब निकट भविष्य में प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति हो सकती है।

मुख्यमंत्री व कैबिनेट मंत्री भी आएंगे दायरे में

लोकायुक्त के प्रभावी होने पर इसके दायरे में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, विधायक, अधिकारी और कर्मचारी भी आएंगे। इसके तहत शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत पर शपथपत्र देना होगा। यदि शिकायत झूठी पाई जाती है तो ऐसे में शिकायतकर्ता पर भी कार्रवाई करने का प्रावधान है। लोकायुक्त का अपना अलग अभियोजन विंग होगा, साथ ही लोकायुक्त के सहयोग के लिए 2 सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं। इसमें से एक सदस्य न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा होना जरूरी है जबकि दूसरे सदस्य को भ्रष्टाचार विरोधी नीति, लोक प्रशासन, बीमा-बैंक और विधि सेवा के क्षेत्र में काम करने का कम से कम 25 साल का अनुभव होना चाहिए।

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