Edited By Ekta, Updated: 01 Aug, 2019 12:12 PM
प्रदेश में अब डॉक्टरों को 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य हो गया है। इसको लेकर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत सरकार ने अब यह तय किया है कि प्रदेश के मैडीकल कॉलेजों में पी.जी. सहित एम.डी. व एम.एस. करने वाले डॉक्टरों को राज्य के भीतर 5 साल...
शिमला (जस्टा): प्रदेश में अब डॉक्टरों को 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य हो गया है। इसको लेकर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत सरकार ने अब यह तय किया है कि प्रदेश के मैडीकल कॉलेजों में पी.जी. सहित एम.डी. व एम.एस. करने वाले डॉक्टरों को राज्य के भीतर 5 साल सेवाएं देना अनिवार्य है। पी.जी. पॉलिसी के तहत न सिर्फ चिकित्सकों पर 40 लाख के बांड की शर्त है, बल्कि पी.जी. करने वाले चिकित्सकों को अपनी एम.बी.बी.एस. की डिग्री स्वास्थ्य निदेशक अथवा निदेशक दंत चिकित्सा सेवाओं के पास रखनी होगी।
बांड की अवहेलना पर डॉक्टरों की एम.बी.बी.एस. की डिग्री भी सरकार के पास रहेगी तथा सरकार एम.सी.आई. से चिकित्सक का पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश भी करेगी। प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए सरकार ने पी.जी. पॉलिसी के प्रावधानों को कड़ा किया है। पॉलिसी के प्रावधानों के मुताबिक प्रदेश में पी.जी. करने वाले डॉक्टरों अथवा नीट के माध्यम से सीधा प्रवेश लेने वाले चिकित्सकों को प्रदेश के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान अर्थात पी.एच.सी., सी.एच.सी. में कार्य करना होगा। पी.जी. कोर्स की अवधि के अलावा राज्य के भीतर पी.जी. करने वाले डॉक्टरों को कम से कम 4 साल तथा प्रदेश से बाहर राज्य के कोटे पर पी.जी. करने वाले चिकित्सकों को 5 साल यहां सेवा करना अनिवार्य होगा।