NMC Bill के विरोध में उतरे मैडीकल कॉलेज के डॉक्टर, काले बिल्ले लगाकर दीं सेवाएं

Edited By Vijay, Updated: 01 Aug, 2019 09:33 PM

medical college doctor

देशभर में एन.एम.सी. बिल के विरोध के चलते डॉ. एस. राधाकृष्णन मैडीकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी वीरवार को पूरा दिन काले बिल्ले लगाकर सेवाएं दीं। डॉक्टरों ने अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से की परंतु काले बिल्ले लगाकर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 के...

हमीरपुर (अंकिता): देशभर में एन.एम.सी. बिल के विरोध के चलते डॉ. एस. राधाकृष्णन मैडीकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी वीरवार को पूरा दिन काले बिल्ले लगाकर सेवाएं दीं। डॉक्टरों ने अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से की परंतु काले बिल्ले लगाकर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 के खिलाफ प्रदर्शन भी जारी रखा। इस दौरान मैडीकल कॉलेज के डॉ. नीरज शर्मा, डॉ. अभिषेक, डॉ. अनुश्री, डॉ. सुमित अत्री, डॉ. राकेश चौहान, डॉ. भारती रणौत आदि ने बताया कि डॉक्टर एन.एम.सी. बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं और यह भारत में गरीबी कैसे बढ़ाएगा और समाज के गरीब और वंचितों के जीवन के साथ खेलता है।

अब केवल 50 फीसदी सीटों पर ही लागू होगी नियंत्रित फीस

पी.एम. के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार ने निजी मैडीकल कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण समाप्त करने का फैसला किया और बिल में कहा कि वे फीस को नियंत्रित करने के लिए निजी मैडीकल कॉलेजों को दिशा-निर्देश देंगे। अब केवल 50 फीसदी सीटों पर ही फीस कम की जाएगाी जबकि पहले यह 85 प्रतिशत सीटों पर लागू होती थी। इस विधेयक में निरीक्षण या शिकायत निवारण के लिए कोई प्रावधान नहीं है इसलिए ये कॉलेज खुलेतौर पर दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं और अरबों रुपए कमाते हैं। वहीं सरकार द्वारा उल्लंघन करने वालों को 1 लाख रुपएजुर्माना ही डाला जाता है, जिसका इन कॉर्पोरेट लॉबिस्ट को कोई फर्क नहीं पड़ता है।

करोड़ों खर्च करने वाले ही बनेंगे डॉक्टर, महंगा हो जाएगा उपचार

उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद गरीब छात्र कहां जाएंगे। उन्हें मिलने वाली गुणवत्ता पूर्ण सस्ती चिकित्सा शिक्षा का अधिकार उनसे छीन लिया जाएगा, ऐसे में छात्र की जेब ही उसकी प्रतिभा का फैसला करेगी और प्रतिभा धूल फांकने को मजबूर हो जाएगी क्योंकि सरकार के इस फैसले के बाद वहीलोग जो डॉक्टर बनेंगे जो करोड़ों खर्च कर सकते हैं और वे उपचार की लागत से अपने निवेश की भरपाई करेंगे। इन सब परिस्थितियों में उपचार और महंगा हो जाएगा और मरीज को इलाज के लिए जेब से अधिक भुगतान करना पड़ेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध करवाना केवल खानापूर्ति

इस विधेयक के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों की जगह रखा जाएगा। ये सी.एच.डब्ल्यू. 6 महीने के प्रशिक्षित नीम-हकीम हैं जो भारत के गरीब लोगों का इलाज करेंगे। सरकार एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों के स्थान पर इन नीम-हकीमों को ग्रामीण स्तर पर डॉक्टर उपलब्ध कराने की खानापूर्ति कर रही है। सरकार के इस फैसले से इन झोलाछाप डॉक्टरों को अधूरे कौशल से मरीज के जीवन के साथ खेलने के सभी कानूनी अधिकार होंगे।

मरीज को आखिरी स्टेज पर चलेगा बीमारी का पता

सरकार का यह विधेयक उन मजदूरों को इलाज देगा जो बुनियादी ढांचे, ऑप्रेशन थिएटर, प्रयोगशाला सुविधाएं, इमैजिंग सुविधाएं नहीं मांगते क्योंकि उनके दिमाग में प्राथमिक स्तर पर गरीब लोगों को निपटाने के लिए प्रशिक्षण का स्तर कम है और इससे आगे सोचने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। दूसरी बात यह है कि इन सुविधाओं के बिना बीमारी का इलाज नहीं हो सकता है बल्कि यह केवल मरीजों को उच्च केंद्रों तक पहुंचने से रोकने या एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों की मांग करने से रोकने के लिए दी गई एक धीमी गोली है। इससे मरीज की बीमारी बढ़ेगी तथा जब तक मरीज को अपनी बीमारी का पता चलेगा तब तक बीमारी आखिरी स्टेज पर होगी।

गुणवत्तायुक्त सेवाएं देने वाले अस्पतालों की स्वायत्तता छीनेगा विधेयक

सरकार का यह फैसला एम्स, पी.जी.आई., जे.आई.पी.एम.ई.आर. अस्पतालों को मरीजों को दी जाने वाली गुणवत्ता सेवाओं को नष्ट कर रहा है। ये अस्पताल अपने मरीज के अनुकूल दृष्टिकोण के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं और हमेशा बिना भेदभाव के रोगी की सेवा करते हैं लेकिन केंद्र सरकार ने प्रतिभाशाली दिमागों को चुनने और उन्हें रत्नों में क्राफ्ट कर उनकी स्वायत्तता को छीनने का फैसला किया है। सरकार ने एम्स, पी.जी.आई., जे.आई.पी.एम.ई.आर. परीक्षाओं को सामान्य एन.ई.एक्स.टी. परीक्षा में मिलाने का फैसला किया है।

उत्कृष्टता की संस्कृति को नष्ट करना चाहती है सरकार

सरकार उत्कृष्टता की संस्कृति को नष्ट करना चाहती है ताकि कोई संस्थान अपनी प्रतिभा के अनुसार डॉक्टरों का उत्पादन न कर सके क्योंकि सभी जानते हैं कि इन संस्थानों को सामान्य बनाने के लिए सिस्टम के हैकर्स को पैसे का उपयोग करने और प्रतिभा को दरकिनार करने वाले इन संस्थानों में प्रवेश करने की संभावना होगी। इन सभी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बंद करना होगा क्योंकि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है और सत्ता में आंख मूंद कर बैठी है। इस विरोध में उन्होंने जनता के सहयोग की भी मांग की है क्योंकि सरकार के इस फैसले से मरीज को गुणवत्ता पूर्ण इलाज मिल पाना असंभव है।

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