Edited By Ekta, Updated: 21 Feb, 2019 05:35 PM
नगर निगम शिमला ने वर्ष 2019-20 के लिए 297 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। महापौर कुसुम सदरेट ने अपने बजट भाषण में शहर वासियों को कई नई योजनाएं समर्पित की। जिनमें से निगम रसोई सेवा योजना भी एक है। योजना के अंतर्गत शिमला के तीनों सरकारी अस्पताल आईजीएमसी,...
शिमला (योगराज): नगर निगम शिमला ने वर्ष 2019-20 के लिए 297 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। महापौर कुसुम सदरेट ने अपने बजट भाषण में शहर वासियों को कई नई योजनाएं समर्पित की। जिनमें से निगम रसोई सेवा योजना भी एक है। योजना के अंतर्गत शिमला के तीनों सरकारी अस्पताल आईजीएमसी, केएनएच और रिपन अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले लोगों को निगम फ्री में खाना देगा। वहीं नगर निगम ने बजट में गौ संरक्षण केंद्र बनाने की प्रस्तावना भी है जिसके माध्यम से नगर निगम अपने गौ सदन बनाएगी। बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नगर निगम फिर से स्वास्थ्य सेवा प्रयोगशाला का आरंभ किया जाएगा, जिसमें वृद्ध लोगों और महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएगी। इसमें निगम को ई विधान प्रणाली से जोड़ने का भी प्रस्ताव है। ऐसा करने वाला निगम देश का पहला नगर निगम होगा। जहां इसको पेपर लैस किया जाएगा।
बजट में निगम की परिधि में आने वाले सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं में प्रदेश स्तर पर टॉप करने वाले छात्र को नगर निगम लैपटॉप देगी। कांग्रेस और सीपीआईएम के पार्षदों ने बजट को घाटे का बजट करार दिया है और कहा है कि बजट में कुछ भी नया नहीं है। महापौर ने 2017 की बजट की योजनाओं को फिर से बताया है। 2017 के बजट की योजनाएं भी अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। बजट से शिमला शहर की जनता पर बोझ पड़ेगा। निगम के आया के साधन भी कम हो गए हैं। महिला सश्क्तिकरण के लिए पिछले बजट में 50 लाख खर्च करने की बात कही गई थी उसमें से एक भी पैसा निगम नहीं खर्च पाई है। बिना किसी रोडमैप के महापौर ने बजट पेश किया है।
बजट में सड़कों, निगम के भवनों, पार्किंग, नाले-नालियों के निर्माण,जल वितरण और सीवरेज लाइन बिछाने, स्ट्रीट लाइट लगवाने, कार्यालय हेतु फर्नीचर एवम सामग्री खरीद के लिए 2390.50 लाख का बजट रखा गया है। वर्ष 2019-20 में नगर निगम की आय 12174.41 लाख रुपए अनुमानित हैं। नगर निगम शिमला को ग्रीन फीस से 15 करोड़ की आय की संभावना है।निगम में बजट में नया टाउन हॉल बनाने की बात कही गई है जबकि पुराना टाउन को बचाने में निगम विफल ही हो गया है। इसका बजट इस बार पिछले बजट से लगभग 58 करोड़ कम है जिसकी वजह निगम से अलग होकर जल प्रबंधन निगम बनने को बताया गया है।