इस सुविधा को तरसे चुराह के कई गांव, मरीजों को पीठ पर ढोना बना मजबूरी

Edited By Vijay, Updated: 13 Nov, 2018 06:10 PM

many villages of churah carving for this facility

आज भी विधानसभा क्षेत्र चुराह के कई गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं। यहां विकास के द्वार के खुलने का इंतजार इस वजह से लंबा होता जा रहा है जिसके चलते ये क्षेत्र पिछड़ते ही जा रहे हैं।

तीसा: आज भी विधानसभा क्षेत्र चुराह के कई गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं। यहां विकास के द्वार के खुलने का इंतजार इस वजह से लंबा होता जा रहा है जिसके चलते ये क्षेत्र पिछड़ते ही जा रहे हैं। चुराह उपमंडल की ग्राम पंचायत झज्जाकोठी व थनेईकोठी के अधिकतर गांवों में वर्तमान स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। यहां के गांवों के लिए शक्तिनाला से ननोडी तक मार्ग प्रस्तावित हैं। यहां के कई गांव के लोग अब भी पैदल ही पगडंडियों से मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं। लोग अभी तक सड़क सुविधा से जुडऩे के लिए तरस रहे हैं।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का चुराह में नहीं वजूद
हैरानी की बात है कि देश भर में सैंकड़ों गांवों को सड़क से जोडऩे वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का चुराह में वजूद ही नजर नहीं आ रहा है। यह योजना 500 तक की आबादी को सड़क से जोडऩे के लिए बनी थी लेकिन चुराह में सैंकड़ों घर अभी भी ऐसी जगह हैं जहां इस योजना की एक भी पाई खर्च नहीं हो पाई है। चुराह के कई बड़े मंचों पर सड़कों का जाल बिछाने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन हकीकत में अधिकतर क्षेत्र के लोगों को सफर पैदल ही तय करना पड़ रहा है। हालत ऐसे हैं कि यहां कोई बीमार हो जाए तो उसके लिए पालकी या पीठ पर उठाकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। कई बार गंभीर स्थिति में मरीज सड़क पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता है।

इन गांवों में नहीं पहुंची भाग्य की रेखा
झज्जाकोठी व थनेईकोठी पंचायत के ननोडी, बेईदियाली, कठला व सौंडा गांवों की बात करें तो इन तक अभी तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। आलम यह है कि इनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है। सुबह होते ही काम निपटाने के लिए मुसीबतें पीछा छोडऩे का नाम नहीं लेती हैं। यहां कोई बीमार हो जाए तो लोगों की पालकी में ही उसे सड़क तक पहुंचाना पड़ता है।

गुहार लगाने के बाद भी मिल रहा आश्वासन
स्थानीय ग्रामीणों केवल कृष्ण, पवन कुमार, ध्यान सिंह, पवन कुमार, योगराज, चुनीलाल, विपिन कुमार, अजय कुमार, टेक चंद व रजाक का कहना है कि सड़क बनाने के लिए गुहार भी लगाई लेकिन उसे हर बार आश्वासन ही हाथ लग रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 500 से अधिक आबादी वाले गांव को सड़क से जोडऩे का नियम बना है। यहां के इन गांवों की आबादी 1500 से अधिक बनती है। फिर उनके गांवों को इस नियम के तहत क्यों नहीं लाया जा रहा है। इन गांवों तक सड़क पहुंचाने के लिए निजी जमीन भी लोग देने को तैयार हैं। इसके बावजूद भी सड़क बनने का नाम नहीं ले रही है। योजनाओं का लाभ अन्य गांवों को मिल रहा तो फिर उनकी अनदेखी क्यों हो रही है यह बात अभी तक उनकी समझ से परे है। प्रशासन व विभाग का सुस्त रवैया उनके लिए बिना सुविधाओं के जिंदगी काटने के लिए मजबूर कर हैं।

सर्वे से आगे नहीं बढ़ा काम
ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क मार्ग के लिए विभाग द्वारा तीन से चार बार सर्वे किए गए। इस दौरान विभाग द्वारा सफेदी भी की गई लेकिन कार्य आगे नहीं बढ़ पाया। सड़क से वंचित गांवों में यदि किसी के साथ कोई दुर्घटना या अनहोनी हो जाए तो लोगों की जान पर बन आती है। इन गांवों से सड़क तक पहुंचने के लिए पैदल करीब 2 से 3 घंटे लग जाते हैं। इस दौरान कई बार गंभीर हालत में मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हंै। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल ले जाने के लिए पालकी का सहारा लेना पड़ता है। कई बार रास्ते में ही डिलीवरी हो जाती है।

क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी
लो.नि.वि. तीसा के अधिशासी अभियंता हर्ष पुरी ने बताया कि सड़क सुविधा से वंचित गांवों को सड़क से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए शक्तिनाला से ननोडी अलाइनमैंट कर दिया गया है। जनवरी माह में इस कार्य को स्कीम में डालकर बजट स्वीकृत करवाया जाएगा जिसके बाद तुरंत कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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