यहां सरकारी क्षेत्र में चल रहा देश का पहला महाशीर मछली प्रजनन फार्म

Edited By Simpy Khanna, Updated: 10 Sep, 2019 11:30 AM

mahasheer fish breeding farm running in government area

मंडी के जोगिंद्रनगर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बडौन (मच्छयाल) में राष्ट्रीय महाशीर मत्स्य प्रजनन फार्म कार्य कर रहा है, जो सरकारी क्षेत्र में देश का पहला महाशीर मछली प्रजनन फार्म है। लगभग अढ़ाई हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस मछली फार्म में...

जोगिंद्रनगर (वेद): मंडी के जोगिंद्रनगर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बडौन (मच्छयाल) में राष्ट्रीय महाशीर मत्स्य प्रजनन फार्म कार्य कर रहा है, जो सरकारी क्षेत्र में देश का पहला महाशीर मछली प्रजनन फार्म है। लगभग अढ़ाई हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस मछली फार्म में मत्स्य विभाग द्वारा राणा खड्ड, लूणी खड्ड, कांडापत्तन, सोन खड्ड, ब्यास नदी तथा अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों से सुनहरी महाशीर मछली का लगभग 2184 बीज इकट्ठा किया गया। इसके बाद इन्हें फार्म में पालकर इन्हे परिपक्व नर व मादा के तौर पर तैयार कर फार्म में ही प्रजनन करवाया जा रहा है। 

वर्ष 2012 में उत्तराखंड सरकार के मत्स्य विभाग की ओर से 4155 गोल्डन महाशीर मछली को फार्म में रखने का कार्य मिला था जिसे भी सफलतापूर्वक किया गया है। 21 जुलाई, 2016 को पहली बार फार्म में सफल प्रजनन होने के बाद 29 जुलाई, 2016 को इसका विधिवत उद्घाटन किया गया। वर्ष 2016 के बाद इस फार्म में गोल्डन महाशीर मछली का सफल प्रजनन किया जा रहा है।

आंकड़ों में बात करें तो वर्ष 2016-17 के दौरान 19,800 अंडों का प्रजनन, वर्ष 2017-18 के दौरान 20,965, वर्ष 2018-19 में 28,670 जबकि चालू वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक 10,500 अंडों का सफल प्रजनन कर लिया है तथा सितम्बर माह तक यह गिनती जारी रहेगी। इस केंद्र का प्रमुख उद्देश्य सुनहरी महाशीर मछली का प्रजनन कर इन्हें प्रदेश के प्राकृतिक जल स्रोतों में छोडऩा है ताकि इन प्राकृतिक जल स्त्रोतों से तैयार होने वाली गोल्डन महाशीर मछली को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ स्थानीय मछुआरों को हो सके। 

विलुप्त प्राय: प्रजाति में शामिल है महाशीर मछली

वास्तव में महाशीर मछली आज के दौर में दुनिया की विलुप्तप्राय: प्रजाति में शामिल हो चुकी है। नदियों व अन्य विभिन्न प्राकृतिक जल स्त्रोतों मेें बांध इत्यादि बन जाने के कारण जहां महाशीर मछली का प्रजनन चक्र प्रभावित हुआ है तो वहीं अवैज्ञानिक तरीके से अत्यधिक शिकार के कारण भी यह प्रजाति लगातार विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। प्रजननकाल के दौरान महाशीर मछली झुंड में नदी की ऊपरी धाराओं की ओर प्रवास करती है, लेकिन इस दौरान इनको हानि पहुंचने की अधिक संभावनाएं बनी रहती हैं जब अनैतिक मछुआरे इनका शिकार करने से नहीं चूकते हैं।

 एंगलर की पसंद है गोल्डन महाशीर 

महाशीर मछली को विश्व प्रसिद्ध क्रीड़ा मछली के तौर पर जाना जाता है जिनमें गोल्डन महाशीर सबसे अधिक पसंद की जाती है। एंगलर गोल्डन महाशीर को क्रीड़ा मछलियों में सबसे बेहतर मानते हैं तथा भारतीय व विदेशी एंगलर के लिए यह मनोरंजन का एक बेहतरीन स्रोत भी है। एंगलर भी गोल्डन महाशीर मछली की दृष्टि से हिमालय क्षेत्र को सबसे बेहतरीन मानते हैं तथा प्रतिवर्ष लगभग अढ़ाई हजार एंगलर प्रदेश में आते हैं। 

क्या कहते हैं अधिकारी

निदेशक मत्स्य विभाग एस.पी. मेहता का कहना है कि जोङ्क्षगद्रनगर के मच्छयाल में स्थापित गोल्डन महाशीर मछली प्रजनन फार्म सरकारी क्षेत्र में कार्यरत देश का पहला प्रजनन फार्म है, जिसका प्रमुख लक्ष्य विलुप्त प्राय: गोल्डन महाशीर मछली का बीज तैयार कर प्रदेश के प्राकृतिक जल स्रोतों में इसको बढ़ावा देना है। इससे न केवल स्थानीय मछुआरों की आॢथकी को मजबूती मिलेगी बल्कि एंगलर के शौकीन लोगों को भी आकॢषत करने को बल मिलेगा। 

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