कुल्लू के इतिहास में पहली बार ब्यास के किनारे महाआरती में उमड़ा जनसैलाब (Watch Video)

Edited By Ekta, Updated: 02 Jan, 2019 12:40 PM

कुल्लू जिला में नए साल की शुरूआत ब्यास महाआरती के साथ हुई। कुल्लू के इतिहास में ऐसा पहली बार इतने बड़े स्तर पर ब्यास नदी के किनारे महाआरती का आयोजन किया गया। इस धार्मिक सम्मेलन में हजारों लोगों ने मिट्टी व आटे के बने दिए से एक साथ सामूहिक आरती की।...

कुल्लू (दिलीप): कुल्लू जिला में नए साल की शुरूआत ब्यास महाआरती के साथ हुई। कुल्लू के इतिहास में ऐसा पहली बार इतने बड़े स्तर पर ब्यास नदी के किनारे महाआरती का आयोजन किया गया। इस धार्मिक सम्मेलन में हजारों लोगों ने मिट्टी व आटे के बने दिए से एक साथ सामूहिक आरती की। जिसमें कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की।
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कुल्लू की ऐतिहासिक नदी विपाशा यानि ब्यास नदी के तट पर मौहल नेचर पार्क में महाआरती का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में पुरूष, महिलाओं, बच्चों ने भाग लिया और इस महाआरती का हिस्सा बने। नटी का तट शाम के समय हजारों दीयों की रोशनी से चमक उठा और दृश्य देखने लायक था। 
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उल्लेखनीय है कि उपायुक्त कुल्लू यूनुस मुस्लिम धर्म से संबध रखते है लेकिन इस ब्यास महाआरती वैदिक नदी की स्तुति करने के लिए हिंदु रीति-रिवाज के साथ सभी धर्मा के लोगों ने इस में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। जिससे इस धार्मिक आयोजन के द्वारा पूरे विश्व के लिए जहां शांति का भाई चारे का संदेश दिया जिससे एकता अखंडता की भी झलक दिखी।
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इस आयोजन के लिए उपायुक्त कुल्लू यूनुस की इस सोच के लिए आम जनता सराहनीय कदम मान रही है। कुल्लू जिला के रोहतांग पास स्थित ब्यास कुंड से निकलने वाली ब्यास नदी का अस्तित्व 460 किलोमीटर के करीब है और हिमाचल प्रदेश में इस नदी की लंबाई 260 किलोमीटर है।
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इस नदी का पुराना नाम अर्जिकिया और विपाशा है लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इस नदी का नाम ब्यास कुंड पर आधारित ब्यास नदी रख दिया। वन, परिवहन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि पर्यावरण एवं जल संरक्षण के प्रति जागरूकता और ब्यास नदी की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए आयोजित ब्यास आरती में मुख्य यजमान के रूप में भाग लिया। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मंगल ध्वनि के बीच बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों के साथ ब्यास की अराधना की।
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इस मौके पर लगभग 121 पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण और बड़ी संख्या में बजंतरियों ने देवधुनें बजाकर महाआरती की रस्म को पूर्ण करवाया तथा सैकड़ों लोगों ने ब्यास नदी में मिटटी और आटे के दीये प्रवाहित किए। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि नए साल की शुरूआत धार्मिक आयोजन के साथ हुई है जिससे पूरे विश्व की शांति के लिए संदेश व पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरू किया।
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