Edited By Vijay, Updated: 19 Mar, 2020 08:07 PM
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े मातृ-शिशु अस्पताल (केएनएच) में सबको हैरान कर देने का मामला सामने आया है। यहां एक नवजात जीवित बच्ची को डॉक्टरों ने मरा हुआ बता दिया। बच्ची के जीवित होने का पता तब चला जब उसके पिता उसे दफनाने के लिए अस्पताल पहुंचे।
शिमला (याेगराज): हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े मातृ-शिशु अस्पताल (केएनएच) में सबको हैरान कर देने का मामला सामने आया है। यहां एक नवजात जीवित बच्ची को डॉक्टरों ने मरा हुआ बता दिया। बच्ची के जीवित होने का पता तब चला जब उसके पिता उसे दफनाने के लिए अस्पताल पहुंचे। प्रसव के 11 घंटे बाद नवजात के जिंदा होने का पता चलने पर मां-बाप का दिल पसीज गया। दरअसल 3 दिन पहले कुल्लू की राजकुमारी को 7वें महीने में ही प्रसूति दर्द शुरू हो गया। इस पर उसका पति विजय कुमार उसे नेरचौक अस्पताल ले गया, जहां से उसे प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल केएनएच रैफर किया गया। 2 दिन पहले राजकुमारी को केएनएच में दाखिल किया गया।
नवजात के पिता विजय कुमार ने बताया कि वीरवार सुबह उसकी पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची की पल्स रेट बहुत कम है और उसका बचना मुश्किल है इसलिए फॉर्म पर हस्ताक्षर कर दो। डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर डैड ट्रे में रख दिया। 11 घंटे बाद जब डॉक्टरों ने डैडबॉडी ले जाने के लिए बैग लेकर बुलाया तो बच्ची रोने लग गई। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद बच्ची के पिता विजय कुमार परेशान हो गए व सीधा शिकायत लेकर शिक्षा मंत्री के सामने ही एमएस के पास पहुंच गए। विजय कुमार ने इतनी बड़ी लापरवाही की जांच के बाद दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की मांग उठाई है।
उधर, केएनएच की एमएस डॉक्टर अंबिका चौहान ने बताया कि बच्ची 800 ग्राम की पैदा हुई थी, जिसके बचने की बहुत कम संभावना थी। बावजूद इसके यदि मामले में डॉक्टरों की लापरवाही पाई जाती है तो जांच के बाद दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।