...पटरी पर लौटने लगी जिंदगी, 17 हजार को मिला काम

Edited By prashant sharma, Updated: 24 Apr, 2020 07:43 PM

life returned to track 17 thousand got work

मंडी जिला में कोरोना की मार से पस्त जिंदगी अब धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी है। गांव देहात में मनरेगा समेत अन्य विकास परियोजनाओं के कार्य शुरू होने से गरीबों-मजदूरों को काम मिलने लगा है, जिससे उनके घर परिवार में रौनक लौट आई है।

मंडी : मंडी जिला में कोरोना की मार से पस्त जिंदगी अब धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी है। गांव देहात में मनरेगा समेत अन्य विकास परियोजनाओं के कार्य शुरू होने से गरीबों-मजदूरों को काम मिलने लगा है, जिससे उनके घर परिवार में रौनक लौट आई है। जिला के अलावा दूसरे राज्यों के मजदूर भी विकास कार्यों को शुरू करने के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के फैसले से बेहद खुश हैं।
काबिलेगौर है कि कोरोना वायरस के खतरों से निपटने के लिए जारी लॉकडाउन व कर्फ्यू के चलते प्रदेश में आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह बंद थीं। हिमाचल सरकार ने जन सरोकार को अधिमान देते हुए 20 अप्रैल से आवश्यकतानुरूप मनरेगा समेत अन्य विकास परियोजनाओं के काम शुरू करने की अनुमति दी है। साथ ही सरकार ने कोरोना से बचाव को लेकर इसमें सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य सुरक्षा उपायों का पूरा पालन करने के कड़े निर्देश भी दिए हैं।

17 हजार लोगों को मिला काम

उपायुक्त ऋग्वेद ठाकुर बताते हैं कि मंडी जिला में 1900 के करीब विभिन्न काम काम शुरू हो गए हैं। इनमें पौने 9 सौ के लगभग विकास परियोजनाओं के काम और करीब 11 सौ निजी निर्माण कार्य शुरू हुए हैं। जिनसे करीब 17 हजार मजदूरों को काम मिला है। उन्होंने कहा कि जिले में मनरेगा के अलावा पानी, बिजली, सड़क की कई परियोजनाएं और डंगों व सरकारी भवनों के निर्माण कार्यों में 13 हजार के करीब मजदूर जबकि निजी निर्माण कार्यों में 4 हजार के करीब मजदूर काम में लगे हैं। आगे और परियोजनाओं को भी जरूरत के अनुसार अनुमति दी जा रही है।  

मजदूरों के खिले चेहरे

मंडी में मनरेगा समेत अन्य विकास परियोजनाओं के काम शुरू होने से जिला के अलावा हजारों प्रवासी मजदूरों के चेहरे खिल उठे हैं । ऐसे हजारों मजदूरों में झारखंड के रसियन, जो मिनी सचिवालय भवन थुनाग के निर्माण काम में लगे हैं, भी शामिल हैं। रसियन बताते हैं कि कर्फ्यू में कामकाज बंद होने से वे बड़ी चिंता में थे। हालांकि सरकार के मुफ्त राशन वितरण से खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन दिहाड़ी नहीं लगने से घर परिवार के लिए चार पैसे इकट््ठे करने की चिंता थी। अब उनके जैसे हजारों मजदूरों की चिंता खत्म हो गई है। वहीं बगस्याड़ में जल आपूर्ति परियोजना के काम में लगे जम्मू कश्मीर के मक्खन सिंह और अशोक कहते हैं कि यहां काम शुरू होने से उन्हें बड़ी राहत मिली है। हिमाचल सरकार से मिली मदद से उन्हें राशन की कोई दिक्कत नहीं आई । फिर भी वे काम न होन के कारण कर्फ्यू के बाद अपने राज्य लौटने की सोचने लगे थे। पर अब काम शुरू होने से दिहाड़ी की चिंता भी खत्म हो गई है। अब वे यहीं रह के काम करेंगें ताकि घर परिवार को पैसे भेजने कर उनकी जरूरतों का ख्याल रख सकें। ऐसे सभी मजदूरों ने इस संकट की घड़ी में उनकी समस्याओं को समझने और दूर करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का एक स्वर में आभार जताया है।
 

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