Edited By Updated: 19 May, 2017 11:20 AM
गर्मियों और बरसात के मौसम में सांप के काटने के मामले हर साल देखे जाते हैं, वहीं कई बार सांप लोगों के घरों ...
शिमला : गर्मियों और बरसात के मौसम में सांप के काटने के मामले हर साल देखे जाते हैं, वहीं कई बार सांप लोगों के घरों में घुस जाते हैं जिसके कारण प्रदेश में अनेक जगहों पर लोग डर के साये में जीते हैं। ऐसे में सांपों को पकड़ने के लिए लोगों को सपेरों का बहुत सहारा रहता था लेकिन कानून की पेचीदगियों के चलते अब उन पर लगी पाबंदी के कारण वे सांपों को नहीं पकड़ पा रहे। शिमला के उपनगर टुटू में सपेरों की एक बस्ती है जिन पर प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाने के बाद उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। उस कालोनी के रहने वाले चंचलु राम ने बताया कि उसका परिवार पुश्तों से लोगों के घरों से सांपों को पकड़ता आया है।
सांप के काटने का यहां हैं हर प्रकार का इलाज
उसका कहना था कि उनके पास कुमारसैन, सैंज, सिरमौर के क्षेत्र कोटगढ़, दाड़लाघाट और अर्की से लोग सांप को घर से भगाने के लिए मदद मांगने आते हैं। चंचलु ने बताया कि उनकी पूरी जाति अब समाप्त होने की कगार पर आ गई है। नई पीढ़ी प्रशासन की सख्ती के बाद अब इस परम्परागत पेशे से कन्नी काट रही है। चंचलु का कहना है कि सपेरों के पास सांप के काटने का हर प्रकार का इलाज है जोकि जड़ी-बूटियों पर आधारित चिकित्सा है। चंचलु का कहना है कि प्रशासन उन्हें सांप को पकडऩे का लाइसैंस प्रदान करे ताकि उनको लोगों की परेशानी को दूर करने में सहायता मिले। उसका कहना है कि वे सांप को पकड़ कर जंगल में सुरक्षित छोड़ देते हैं।