Edited By Ekta, Updated: 18 Feb, 2019 11:19 AM
प्रदेश कांग्रेस ने निष्कासित नेताओं व पदाधिकारियों की संगठन में वापसी सशर्त की है। इसके अंतर्गत पार्टी में वापस लिए गए कांग्रेसजनों को 2 साल तक संगठन में कोई ओहदा नहीं मिलेगा और उन्हें आम कार्यकर्ता की तरह काम करना होगा। इसके साथ ही वे चुनाव के लिए...
शिमला (राक्टा): प्रदेश कांग्रेस ने निष्कासित नेताओं व पदाधिकारियों की संगठन में वापसी सशर्त की है। इसके अंतर्गत पार्टी में वापस लिए गए कांग्रेसजनों को 2 साल तक संगठन में कोई ओहदा नहीं मिलेगा और उन्हें आम कार्यकर्ता की तरह काम करना होगा। इसके साथ ही वे चुनाव के लिए भी आवेदन नहीं कर पाएंगे। कांग्रेस ने बीते दिन ही 44 कांग्रेसजनों की संगठन में वापसी की थी। बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के चलते पार्टी ने कई नेताओं व पदाधिकारियों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखाया था।
इसके बाद पार्टी में वापसी के लिए कई बागियों ने आवेदन किया था लेकिन पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के समय में बागियों की घर वापसी नहीं हो पाई। इसी बीच जब सुक्खू के स्थान पर कुलदीप सिंह राठौर को प्रदेश कांग्रेस की कमान हाईकमान ने सौंपी तो संगठन से बाहर चल रहे कांग्रेसजनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हुई। इसी कड़ी में हाई पावर कमेटी ने बीते दिन 44 कांग्रेसजनों की वापसी पर मोहर लगाई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि हाई पावर कमेटी की बैठक में निष्कासित नेताओं की पार्टी में वापसी को लेकर जो निर्णय लिया है, उसकी रिपोर्ट स्वीकृति के लिए प्रभारी प्रदेश कांग्रेस रजनी पाटिल को भेज दी गई है।
ऐसे में स्वीकृति प्राप्त होने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय को लेकर कोई भी व्यक्ति 7 दिन के भीतर अपना पक्ष कमेटी के अध्यक्ष गुरकीरत सिंह अथवा पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के समक्ष रख सकता है। यदि 7 दिन के अंदर कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती है तो कमेटी के निर्णय को अंतिम निर्णय मान लिया जाएगा। इसके साथ ही यदि कोई आपत्ति दर्ज होती है तो उसका मूल्यांकन कर ऐसे मामले को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को अंतिम स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।