नेता विपक्ष पर मुकेश अग्निहोत्री ने दिया बड़ा बयान, कहा- नहीं मांगेंगे पद

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Jan, 2018 04:37 PM

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हिमाचल के इतिहास में पहली बार कांग्रेस विधायक दल का नेता निचले हिमाचल से चुना गया है। कांग्रेस पार्टी के विस में 21 विधायक हैं। पार्टी ने ऊना जिला के हरोली हलके से चौथी बार विधायक बने मुकेश अग्निहोत्री को विधायक दल का नेता बनाया है।

ऊना (सुरेन्द्र): हिमाचल के इतिहास में पहली बार कांग्रेस विधायक दल का नेता निचले हिमाचल से चुना गया है। कांग्रेस पार्टी के विस में 21 विधायक हैं। पार्टी ने ऊना जिला के हरोली हलके से चौथी बार विधायक बने मुकेश अग्निहोत्री को विधायक दल का नेता बनाया है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह पद पहली बार लोअर हिमाचल के राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला ऊना को मिला है। भाजपा में शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल विधायक दल के नेता रहे हैं जबकि कांग्रेस पार्टी में डा. वाई.एस. परमार, ठाकुर राम लाल, वीरभद्र सिंह तथा विद्या स्टोक्स सभी ऊपरी हिमाचल से ही बनते रहे हैं। पहली बार कांग्रेस विधायक दल के नेता बने मुकेश अग्निहोत्री जब ऊना पहुंचे तो उनका कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। मुकेश अग्निहोत्री से पंजाब केसरी ने विभिन्न मसलों पर खुलकर बातचीत की। 


सवाल: पहली बार कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता की जिम्मेदारी आपके कंधों पर आई है, आप क्या मानते हैं?
जवाब: कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दायित्व प्रदान किया है। इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस विधायकों और प्रदेश की जनता का आभारी हूं। जो जिम्मेदारी दी गई है उसे बखूबी निभाऊंगा और विधायकों के साथ मिलकर सजग प्रहरी के रूप में काम किया जाएगा। 


सवाल: क्या सरकार विपक्ष के नेता का दर्जा प्रदान करेगी। कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने तो आपको अपना नेता चुन लिया है?
जवाब: मैं किसी कार, कोठी या बंगले का मोहताज नहीं हूं। न ही इसके लिए कभी लालसा रखी है। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें यह दायित्व दिया है। पार्टी और प्रदेश की जनता ही दर्जा प्रदान करती है। जनता का स्नेह और पार्टी का प्रेम उन्हें प्राप्त हुआ है। ऐसे में वह विपक्ष की भूमिका अदा करेंगे। 


सवाल: नई सरकार में विधानसभा का पहला सत्र धर्मशाला में मंगलवार को शुरू हो रहा है। कांग्रेस पार्टी की क्या रणनीति होगी और क्या पार्टी स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव लड़ेगी?
जवाब: कांग्रेस विधायक दल की बैठक में यह सब बातें तय होंगी। धर्मशाला का सत्र काफी संक्षिप्त है। इसमें विधायकों के शपथ ग्रहण के अतिरिक्त स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होगा तो साथ में राज्यपाल का अभिभाषण भी होगा। संक्षिप्त सत्र है। कांग्रेस पार्टी के सभी विधायक अपनी रणनीति बनाएंगे। 


सवाल: कांग्रेस पार्टी की कैसी रणनीति विधानसभा के भीतर होगी और किस तरीके से विपक्ष की भूमिका निभाई जाएगी?
जवाब: प्रदेश की नई सरकार को शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि नई सरकार जनआकांक्षाओं को पूरा करेगी। सरकार ने 100 दिन का एजैंडा तय किया है। ऐसे में सरकार को काम करने का वक्त मिलना चाहिए। कांग्रेस पार्टी देखेगी कि सरकार किस तरीके से अपने वायदों को पूरा करती है। सरकार को पूरा सहयोग दिया जाएगा लेकिन यदि सरकार ने प्रतिशोध की भावना से किसी कांग्रेस के नेता या कार्यकर्ता को प्रताड़ित किया तो यह सहन नहीं किया जाएगा। हाालांकि मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रकार की प्रतिशोध की भावना से काम न करने का आश्वासन दिया है लेकिन यदि इसके बावजूद भी कुछ हुआ तो पार्टी इसका करार जवाब देगी। पिछली सरकार के दौरान भाजपा का विपक्ष में रहते हुए रवैया सही नहीं था। स्पीकर के आसन और मुख्यमंत्री के निकट आकर नारेबाजी करना एवं अमर्यादित व्यवहार करना भाजपा का रवैया रहा है। जो लोग जितने जोर से सदन के भीतर नारे लगाते थे उन्हें उतनी ही वोटों से लोगों ने नकार दिया है। नारों से नहीं जनता के दिल जीतने से नेता बनता है। 


सवाल: प्रदेश सरकार आर्थिक संकट की बात कर रही है। पूर्व सरकार पर प्रदेश को कर्जे में डुबोने की बातें भी की जा रही हैं?
जवाब: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दिल्ली गए थे। उनके दिल्ली सरकार से घनिष्ठ संबंध हैं। मुख्यमंत्री बेलआऊट पैकेज लाएं। कांग्रेस पार्टी अपनी तरफ से प्रदेश की आर्थिक सेहत ठीक करने के लिए पूर्ण सहयोग देने को तैयार है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक ही इस मामले पर सरकार के साथ सहयोग करने को तैयार हैं। यदि दिल्ली जाने की जरूरत हुई तो कांग्रेस उनके साथ खड़ी होगी। पूर्व वीरभद्र सरकार ने 5 वर्ष कभी भी आर्थिक संकट का रोना नहीं रोया। प्रदेश में जमकर विकास कार्य भी किए। अब सरकार इस आर्थिक संकट की बात को छोडकर बेलआऊट पैकेज लाए और विकास कार्यों को तवज्जो दें। 


सवाल: कांग्रेस सरकार के 6 माह के फैसलों को सरकार रिव्यू करने की बात कर रही है। कांग्रेस की इस पर क्या राय है?
जवाब: कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट में सोच समझकर फैसले लिए थे। अब सरकार को जो बेहतर लगता है वह काम करें लेकिन भाजपा सरकार ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों व अधिकारियों को बाहर करने के अपने फैसले के फौरन बाद ही पटवारियों को फिर से बहाल करने का फैसला किया। अपने फैसले को सरकार को रोल बैक करना पड़ा है। मुख्यमंत्री अफसरशाही से सचेत रहें और अति उत्साह में सरकार काम न करे। मंत्री कोठियों और कारों के झगड़े में न पड़ें। कारें जो मर्जी खरीदें लेकिन आम जनता की बेहतरी के लिए योजनाएं लाएं। 


सवाल : कांग्रेस विधायकों में कई सीनियर नेता भी हैं जिनमें वीरभद्र सिंह जैसे वरिष्ठ नेता भी हैं जो 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनकी क्या भूमिका रहेगी। आप उनके नेता हैं तो वीरभद्र सिंह से कैसे परामर्श लिया जाएगा?
जवाब: इस बात का गर्व है कि 9 बार के विधायक वीरभद्र सिंह भी सदन में होंगे जो 6 बार सी.एम. रहे हैं तो केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिलता रहा है। वीरभद्र सिंह जैसे वरिष्ठ नेता का मार्गदर्शन सदन में मिलेगा और उनकी राय कांग्रेस पार्टी के लिए काफी अहम रहेगी। 


सवाल : भाजपा ने चुनावों से पहले जो वायदे किए थे उन पर सरकार कैसे खरा उतरेगी?
जवाब: यह नई सरकार को तय करना है कि जनआकांक्षाओं को कैसे पूरा करे लेकिन चुनाव से पहले भाजपा के जिन वरिष्ठ नेताओं ने जो वायदे जनता से किए थे उन्हें वह नेता जरूर पूरा करें जो अब कुर्सी पर विराजमान हुए हैं। कहीं ऐसा न हो कि वायदे करने वाले और थे और अब पूरा करने से उसे इंकार किया जाए। 

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