Edited By Vijay, Updated: 09 May, 2020 06:33 PM
वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस के चलते जहां चारों और त्राहि-त्राहि मची हुई है। वहीं इसी बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश सरकार पर एक पत्र बम दाग दिया है। उन्होंने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को लिखे पत्र में कुछ संवेदनशील मामले...
शिमला (ब्यूरो): वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस के चलते जहां चारों और त्राहि-त्राहि मची हुई है। वहीं इसी बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश सरकार पर एक पत्र बम दाग दिया है। उन्होंने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को लिखे पत्र में कुछ संवेदनशील मामले उठाए हैं तथा उनसे तत्काल हस्तक्षेप कर इन मामलों में उचित कार्रवाई की मांग की है।
कोविड फंड का दुरुपयोग कर रही सरकार
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार कोविड फंड का दुरुपयोग कर रही है। सरकार ने नियमों को धत्ता बताते हुए कोविड के लिए आए पैसे में से करीब पौने 2 लाख रुपए केमोबाइल फोन खरीदे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या मोबाइल फोन की खरीद जरूरी थी? क्या प्रदेश सरकार के अफसर आपदा की इस घड़ी में अपने फोन इस्तेमाल नहीं कर सकते थे? उनके तर्क समझ से बाहर हैं।
सैनिटाइजर की खरीद में कथित तौर पर घपला
उन्होंने प्रदेश में सैनिटाइजर की खरीद में कथित तौर पर घपला होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पता चला है कि सैनिटाइजर निर्धारित दरों से ऊंची कीमत पर खरीदा गया है। ऐसी भी चर्चा है कि पीपीई किटों के नाम एक जगह रेनकोटों की सप्लाई की गई है। अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी चूक है। यह कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के साथ सरासर धोखा है। इस मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए।
किसके दबाव में पद से हटाए आईजीएमसी के प्रिंसीपल
उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला के प्रिंसीपल डॉ. मुकंद लाल को पद से हटा दिया गया। सरकार को बताना चाहिए कि वैश्विक महामारी के समय में प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के प्रमुख को क्यों और किसके दबाव में हटाया गया? कहीं इसकी पृष्ठभूमि में कोई बड़ी खरीद तो नहीं, जिसे सत्तारूढ़ दल का कोई नेता अपने चहेतों को दिलवाना चाहता है? यह बेहद गंभीर मामला है। इस दौर में ऐसी ओच्छी राजनीति नहीं होनी चाहिए।
सरकार ने कोरोना योद्धाओं का वेतन काटा
उन्होंने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे योद्धाओं का वेतन काटा है। क्या सरकार बताएगी कि किन परिस्थितियों में महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस आदि योद्धाओं का वेतन काटा गया है? जबकि अन्य राज्यों में इन्हें प्रोत्साहन राशि देने की बात हो रही है। देशभर में इन योद्धाओं पर हैलीकॉप्टरों से पुष्प बरसाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के आह्वान पर इनका हौसला बढ़ाने के लिए थालियां बजाई गईं और दीप प्रज्वलित किए गए, ऐसे में हिमाचल सरकार द्वारा इनका वेतन काटना शर्मनाक है। ऐसा कदम उठाकर सरकार इन योद्धाओं की हिम्मत तोड़ रही है जो अपनी जान और परिवार की परवाह किए बिना दिन रात मानवता की सेवा में समर्पित हैं।
डीजल डालकर क्यों किया कोरोना मरीज का अंतिम संस्कार
उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि मंडी जिले के सरकाघाट से लाए गए कोरोना के मरीज के अंतिम संस्कार में अमानवीय तरीका क्यों अपनाया गया? परिजनों को अंतिम संस्कार से दूर रखते हुए मृतक को लावारिस कैसे घोषित किया गया? मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए किसके आदेश से डीजल डालकर मृतक का संस्कार किया गया? यह कृत्य अमानवीय और निंदनीय है।
नोडल अफसर नहीं उठा रहे लोगों के फोन
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना के कारण घरों से बाहर यहां-वहां फंसे प्रदेश के लोगों की मदद करने के लिए जिन अधिकारियों को नोडल अफसर लगाया गया है वे परेशान जनता के फोन नहीं उठा रहे हैं। सरकार बताए कि फोन बंद करने, कॉल फॉरवर्ड करने या ड्यूटी बदलवाने वाले अफसरों के खिलाफ क्या करवाई की जा रही है? शराब को आवश्यक सामान की सूची में डालने की अधिसूचना जारी करने वाले अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है? वहीं कोरोना के दौर में सीमैंट के दाम बढ़ाने वाली कंपनियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है?
कुछ अफसर अपने लोगों को बिना जांच सीमा में करवा रहे प्रवेश
उन्होंने कहा कि प्रदेश से बाहर रहने वाले लोग निश्चिततौर पर अपने घर आएंगे। प्रदेश की सीमा पर बिना भेदभाव के उनके स्वास्थ्य की जांच करके और उन्हें उचित निर्देश देकर अपने-अपने घर जाने दिया जाए लेकिन सीमा पर कुछ अफसर अपने लोगों को स्वास्थ्य जांच के बगैर प्रदेश में प्रवेश करा रहे हैं। सरकार बताए कि ऐसे अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है?
प्रदेश के लोगों को तंग करने से बाज नहीं आ रही सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना के कारण पहले ही परेशान प्रदेश के लोगों को तंग करने से बाज नहीं आ रही है। प्रदेश के लोगों के खिलाफ दायर हजारों एफआईआर लोगों को तंग करने की सुबूत हैं। सरकार को जनता को बेवजह परेशान करने से रोका जाए। इसी तरह उत्तराखंड से मैजिस्ट्रेट के अधिकृत पास से अपने घर आए 3 व्यक्तियों को होम क्वारंटाइन रखने के बाद उत्तराखंड लौटा देना ज्यादती के अलावा कुछ नहीं है।
सरकार की शह पर मीडिया को खौफजदा कर रहा सरकारी अमला
उन्होंने कहा कि सरकार की शह पर सरकारी अमला मीडिया को खौफजदा कर रहा है। कोविड एक्ट की आड़ में पत्रकारों पर दबाव बनाया जा रहा है। कुछ खबरों को लेकर फेक न्यूज श्रेणी का खौफ दिखाकर उन पर कुठाराघात किया जा रहा है। यही नहीं, सरकार की कार्यप्रणाली पर कमैंट करने वालों को पुलिस का डर दिखाकर रोका जा रहा है। सरकार की ऐसी सोच अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।
सरकारी संदेश के लिए तैनात हो प्राधिकृत अधिकारी
उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया है कि इस दौरान प्रदेश के लोगों के नाम सरकारी संदेश देने के लिए डटी भारी-भरकम फौज की बजाय राज्य स्तर पर प्राधिकृत अधिकारी केंद्र की तर्ज पर लगाया जाए ताकि सरकारी संदेश और निर्देश जनता को साफतौर पर मिल सकें।