हिमाचल के 36 मंदिरों में इस अभियान को लागू करने पर भाषा एवं संस्कृति विभाग को मिला ये सम्मान

Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2019 04:00 PM

language and culture department get award

भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश को 36 मंदिर परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफ लतापूर्वक लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था अर्थ डे नैटवर्क ने सम्मानित किया है। भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने पुरस्कार...

शिमला (अम्बादत्त): भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश को 36 मंदिर परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफ लतापूर्वक लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था अर्थ डे नैटवर्क ने सम्मानित किया है। भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने पुरस्कार ग्रहण करते हुए अर्थ डे नैटवर्क का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अर्थ डे नैटवर्क विश्वभर में पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी के बचाव पर 192 देशों में 75,000 सहभागियों के साथ पर्यावरण लोकतंत्र पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि समस्त 36 मंदिर परिसरों में आस्था व सांस्कृतिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनमें ज्वालाजी, बैजनाथ व चिंतपूर्णी आदि मंदिर मुख्य तौर पर शामिल हैं।

मंदिर परिसरों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभाग ने समुचित प्रयास किए हैं, जिनमें प्लास्टिक प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश जारी करने के साथ ही सूचना पट्ट पर श्रद्धालुओं को प्लास्टिक प्रयोग, उपयोग निषेध है, के बारे सचेत किया जाता है। इसके अलावा मंदिर प्रशासन को निर्देश हैं कि प्रसाद की मात्रा एक समान रखकर उन्हें जैविक अवक्रमण, पदार्थ व सामग्री में रखकर बांटा जाए। उन्होंने कहा कि धर्म एवं धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए सफ ाई कर्मचारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि मंदिर स्थल पर प्रसाद इधर-उधर न बिखरे अपितु उसे तत्काल इकट्ठा करके पशु-पक्षियों को खिला दें। इससे न केवल प्रसाद को पैरों तले आने से निरादर होने से बचाया जा सकता है अपितु मंदिर परिसर को और अधिक साफ -सुथरा रखा जा सकेगा।

पूर्णिमा चौहान ने कहा कि इन मंदिरों में प्रतिदिन एक छोटे ट्रैक्टर के लोड के बराबर कूड़ा-कचरा एकत्रित हो जाता है, जिसकी मात्रा विशेष अवसरों व त्यौहारों के दौरान और अधिक बढ़ जाती है। इस कचरे को वहीं वर्गीकृत करने के बाद री-साइकिल करने बारे निर्देश जारी किए गए हैं। मंदिर प्रशासन यह भी सुनिश्चित करेगा कि फू ल-पत्तियों के चढ़ावे को अगरबत्ती व धूप के रूप में री-साइकिल किया जाए। इससे वातावरण प्रदूषण मुक्त होगा तथा मंदिर की आय में भी बढ़ौतरी होने के साथ-साथ व्यवसाय के अवसर भी पैदा होंगे।

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