Edited By Vijay, Updated: 29 Aug, 2019 04:09 PM
जिला बिलासपुर के करयालग गांव में इस बरसात ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। आज भी उस रात का मंजर याद करके लोग सहम उठते हैं। करयालग के भू-स्खलन पीड़ित, जिनके मकान, सामान और पशु जमींदोज हो गए और बची तो मात्र जान और जान बचाकर कैसे न कैसे ये लोग वहां से...
बिलासपुर (मुकेश): जिला बिलासपुर के करयालग गांव में इस बरसात ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। आज भी उस रात का मंजर याद करके लोग सहम उठते हैं। करयालग के भू-स्खलन पीड़ित, जिनके मकान, सामान और पशु जमींदोज हो गए और बची तो मात्र जान और जान बचाकर कैसे न कैसे ये लोग वहां से निकले।
आपबीती सुनाते हुए इन लोगों ने बताया कि वह अब अपना सब कुछ गंवा चुके हैं और सातों परिवारों के सदस्य सामुदायिक भवन में रहकर जिंदगी की गुजर-बसर कर रहे हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके मकान और कृषि के लिए जमीन उपलब्ध करवाई जाए ताकि वे फिर से खेतीबाड़ी कर अपनी गुजर-बसर कर सकें। उनका कहना है कि पशुपालन और कृषि ही उनका मुख्य व्यवसाय है और उसके लिए जमीन बहुत जरूरी है इसलिए सरकार उन्हें जमीन का बंदोबस्त करके दे।
वहीं इस संबंध में डीसी बिलासपुर राजेश्वर गोयल का कहना है कि सरकार द्वारा 22 जनवरी, 2014 के तहत जारी निर्देश के अनुसार लैंडस्लाइड के दौरान पूरी तरह से जमीन खो चुके पीड़ित परिवारों के लिए 3 बिस्वा जमीन देने का प्रावधान किया गया है, जिसके चलते उद्योग विभाग के सैरी कल्चर विंग के तहत उपयोग में नहीं लाई जा रही जमीन को पीड़ित परिवारों के नाम करने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है और जल्द ही सैंटर की एक टीम भी बिलासपुर आकर करयालग गांव का निरीक्षण करेगी।