Edited By Vijay, Updated: 09 Nov, 2019 03:56 PM
प्रदेश सरकार ग्लोबल इन्वैस्टर मीट के तहत उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए भूमि सहित अन्य सुविधाएं देने की बात कर रही है तो दूसरी ओर अपने ही भूमिहीन लोगों के कब्जे वाली जमीन को जबरन खाली करने के फरमान दे रही है।
नूरपुर (संजीव): प्रदेश सरकार ग्लोबल इन्वैस्टर मीट के तहत उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए भूमि सहित अन्य सुविधाएं देने की बात कर रही है तो दूसरी ओर अपने ही भूमिहीन लोगों के कब्जे वाली जमीन को जबरन खाली करने के फरमान दे रही है। सरकार इस बारे अपनी स्थिति स्पष्ट करे। प्रदेश में उद्योग लगें यह स्वागत योग्य विषय है लेकिन सरकार उन लोगों को उजाडऩे से भी बचे जो भूमिहीन हैं और उनका एकमात्र साधन ही वही जमीन है। यह बात नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन ने नूरपुर क्षेत्र की पंचायत खेल के गांव वरियारा में उन आधा दर्जन अनुसूचित जाति के परिवारों की दास्तां सुनने के बाद कही, जिनकी वन विभाग ने कब्जे वाली भूमि को जबरन अपने अधीन ले लिया है।
पूर्व विधायक ने कहा कि उच्च न्यायालय का भी स्पष्ट आदेश है कि जिन भूमिहीन परिवारों के पास वन भूमि पर 10 कनाल तक का कब्जा है उन्हें तंग न किया जाए। बावजूद इसके खेल पंचायत के गांव वरियारा और घुरनु में इन आदेशों की अवहेलना कर आधा दर्जन अनुसूचित जाति के परिवारों की जमीन को जबरन हथियाया जा रहा है, जिसे उन लोगों ने वर्षों से अपनी मेहनत से सींचकर अपने जीवन यापन का जरिया बनाया हुआ है।
उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि इस बारे नीति स्पष्ट की जाए कि यदि पूंजीपतियों को हर सुविधा सरकार की ओर से देने की बात की जा रही है तो अपने ही भूमिहीन लोगों के लिए भूमि क्यों नहीं ताकि वे भी अपना पेट पाल सकें। उन्होंने कहा कि पीड़ित लोगों के घरों में बिजली के मीटर, सरकार की ओर से पेयजल व शौचालयों की सुविधा भी दी गई है फिर इन भूमिहीन परिवारों को न उजाड़ा जाए। इस मौके पर पीड़ित कृष्ण चन्द, रमेश चंद, कांशी राम, जुगनी देवी, रशपाल सिंह, प्रदीप, कांता देवी, पुष्पा देवी सहित अन्य लोगों ने सरकार से मांग की है कि वर्षों से उनकी कब्जे वाली जमीन को जबरन हथियाया न जाए अन्यथा वे लोग बुरी तरह उजड़ जाएंगे।