जमीन हड़पने के लिए यहां चल रहा फर्जी पट्टों का खेल

Edited By Ekta, Updated: 25 Jun, 2018 11:04 AM

land grab for here moving fake leases of game

पर्यटन के लिए विख्यात जगहों पर भूमि से संबंधित विवाद अधिक होने के साथ-साथ भूमि संबंधी फर्जीवाड़े भी बड़ी तादाद में होते हैं। कुल्लू में भी इन दिनों ऐसा ही चल रहा है। जमीन हड़पने के मकसद से कइयों ने फर्जी पट्टों का खेल खेलना शुरू कर दिया है। इससे...

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): पर्यटन के लिए विख्यात जगहों पर भूमि से संबंधित विवाद अधिक होने के साथ-साथ भूमि संबंधी फर्जीवाड़े भी बड़ी तादाद में होते हैं। कुल्लू में भी इन दिनों ऐसा ही चल रहा है। जमीन हड़पने के मकसद से कइयों ने फर्जी पट्टों का खेल खेलना शुरू कर दिया है। इससे पट्टे तैयार करने में माहिर एक बड़े गिरोह का प्रशासन को इस गड़बड़झाले के पीछे होने का शक है। मौजूदा दौर में भी कई मामले प्रशासन के पास पैंडिंग पड़े हैं जिनका इंतकाल होना है। इनमें आधा दर्जन के करीब मामले शक के घेरे में आ गए हैं। प्रशासन ने इनके इंतकाल की प्रक्रिया पर विराम लगाते हुए इन मामलों पर जांच खोल दी है, ऐसे मामलों की शिकायतें आने पर भी प्रशासन अलर्ट हो गया है। 


हैरत वाली बात यह है कि गिरोह ऐसे कागज के टुकड़ों पर फर्जी पट्टे बना रहा है जो कागज देखने और छूने में काफी पुराना लगे। विभिन्न प्रक्रियाओं से कागज के टुकड़े को गुजारकर ऐसी शक्ल दी जा रही है जिससे कागज का टुकड़ा दशकों पुराना लगे, उसके बाद इस टुकड़े पर उस व्यक्ति का नाम व अन्य कई पंक्तियां उर्दू भाषा में लिखी जा रही हैं। जमीन देखकर उस जगह के अनुरूप भूखंड को इस पट्टे में दर्शाया जा रहा है, उसके बाद इस फर्जी पट्टे के दम पर कई लोग इंतकाल के लिए आवेदन कर रहे हैं, ऐसे मामलों को लेकर मिल रही शिकायतों के आधार पर छानबीन शुरू कर दी है और शक के घेरे में आए आधा दर्जन मामलों में इंतकाल रोक दिए हैं।


पट्टों पर हो रहे फर्जी हस्ताक्षर
फर्जी पट्टों पर तत्कालीन जिलाधीश, राजस्व अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर तक हो रहे हैं। पट्टा जारी करने वाले तत्कालीन तमाम भू-स्वामी के भी यह गिरोह फर्जी हस्ताक्षर कर रहा है। बताया जा रहा है कि 2015 में भुंतर तहसील में ऐसे कुछ फर्जी मामलों में इंतकाल हो भी गए हैं। जमीन के ये इंतकाल जांच के बाद रद्द भी हो सकते हैं। 


अजीबोगरीब मामलों से उड़े होश
फर्जीवाड़े के  कुछ अजीबोगरीब मामले प्रशासन के ध्यान में आए हैं। एक महिला के पति का निधन 1975 में हुआ है। उसकी पत्नी वन मंडलाधिकारी के न्यायालय में अवैध कब्जे के मामले में बतौर आरोपी केस लड़ती रही। 2015 में महिला ने एकाएक जमीन का पट्टा वन मंडलाधिकारी न्यायालय में पेश किया। अब यह पट्टा इंतकाल के लिए आया है। महिला से एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि 1972 से पहले जब उसके पास पट्टा था तो 2015 तक इसे प्रस्तुत क्यों नहीं किया। इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं मिल पा रहा है। दूसरा मामला पार्वती घाटी के कसोल क्षेत्र का ही है। जिस पट्टे में भूखंड दिखाया गया है वहां पर सड़क मौजूद है। अब यह पट्टा फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए ही गले की फांस बना हुआ है। 


तीन लोग शक के दायरे में
फर्जी पट्टों को तैयार करने वाले गिरोह में पार्वती घाटी के 2 लोगों के अलावा लग घाटी के एक व्यक्ति पर प्रशासन को शक है। यह भी शक है कि उर्दू के लिए गिरोह राज्य से बाहर बैठे किसी व्यक्ति की मदद ले रहा हो। फर्जी पट्टे तैयार करने वाले राजस्व विभाग से सेवानिवृत्त हुए चौकीदार बताए जा रहे हैं। फर्जी पट्टे के कागज तैयार करने के लिए ये लोग लाखों रुपए वसूल रहे हैं।


कई स्वर्ग सिधार गए कई अब भी घिस रहे जूते
पट्टों का खेल निराला है। प्रशासन की लापरवाही से उन लोगों के पट्टों के अभी तक इंतकाल नहीं हो पाए हैं जिनके पास वास्तव में पट्टे हैं। कई लोग इंतकाल के चक्कर में चक्कर काटते-काटते ही दुनिया से रुखसत हो गए। अब उनके बच्चों के भी इंतकाल के चक्कर में बाल सफेद हो गए हैं। इन लोगों के पास 45-50 से अधिक वर्षों से तमाम दस्तावेज भी मौजूद हैं जब इन्होंने इंतकाल के लिए आवेदन किया। उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में पहले ही आदेश दे रखे हैं कि जिनके पास 1972 से पहले के पट्टे हैं उनके इंतकाल करवाए जाएं। पट्टे में चाहे जितनी अधिक जमीन दर्शाई हो लेकिन इंतकाल 20 बीघा से अधिक भूमि का नहीं होगा। दशकों से लोग इंतकाल के लिए भटक रहे हैं और अब दूसरी ओर फर्जी पट्टों से हड़कंप मच गया है। 

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