BJP में एकजुटता का अभाव, कांग्रेस को लाभ

Edited By Ekta, Updated: 19 Sep, 2018 10:58 AM

lack of solidarity in bjp

जिला परिषद के सोमवार को हुए उपाध्यक्ष पद के चुनावों में भाजपा के सदस्यों की एकजुटता नहीं दिखी, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ। जिला परिषद के उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी की हार के कई कारण बताए जा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि...

धर्मशाला (जिनेश): जिला परिषद के सोमवार को हुए उपाध्यक्ष पद के चुनावों में भाजपा के सदस्यों की एकजुटता नहीं दिखी, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ। जिला परिषद के उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी की हार के कई कारण बताए जा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा ने उपाध्यक्ष पद पर प्रत्याशी घोषित करने में काफी समय बीता दिया जिसके चलते भाजपा अपने प्रत्याशी के हक में समर्थन नहीं जुटा पाई। दूसरा कारण सरदारी गंवाने का यह भी बताया जा रहा है कि जहां पर कांग्रेस का एकमात्र प्रत्याशी सर्वसहमति से चुना गया था तो दूसरी और उपाध्यक्ष पद की दौड़ में भाजपा के 4 से 5 सदस्य सामने आ गए थे उन चाहवानों को कांगड़ा के मंत्री संतुष्ट नहीं कर पाए जिसके चलते क्रॉस वोटिंग हुई और उसका फायदा कांग्रेस को मिला। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पास 27 सदस्यों का समर्थन था और कांग्रेस ने यह अनुमान लगाया था कि यदि कोई भाजपा समर्थित सदस्य कांग्रेस के प्रत्याशी को वोट करेगा तो कांग्रेस के समर्थन में आंकड़ा 30 तक पहुंच जाएगा जबकि भाजपा के सदस्यों की नाराजगी के चलते यह आंकड़ा 30 से 35 तक पहुंच गया।

भाजपा का प्रत्याशी था हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा को मिली हार का एक बड़ा कारण यह भी रहा है कि भाजपा ने जो प्रत्याशी इस उपाध्यक्ष पद के लिए दिया वह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के दायरे में आ रहा था और कांगड़ा भाजपा के सदस्य इससे खफा थे। विशेषज्ञों की मानें तो यदि इसके अलावा उपाध्यक्ष पद पर अन्य चाहवान प्रत्याशी की घोषणा करती तो पासा पलट सकता था। 

मंत्री से लेकर विधायकों को किया नजरअंदाज
भाजपा को मिली हार का एक और क्यास यह भी लगाया जा रहा है कि एक तो 18 सदस्य ओ.बी.सी. के थे और भाजपा ने इस वर्ग के साथ नाराजगी मोल ली। वहीं ओ.बी.सी. वर्ग से आने वाली एक मंत्री व एक विधायक को भी नजरअंदाज किया गया। साथ ही इस उपाध्यक्ष के चुनाव में नूरपुर हल्के को भी ज्यादा तवज्जों नहीं दिया गया जबकि नूरपुर हल्का जीत के समीकरण को बदल सकता है। कांग्रेस ने एकजुटता दिखाकर इस चुनाव को लड़ा है। इसका सीधा प्रमाण हमारे द्वारा गत दिन दिया गया। हमारे 27 सदस्य अपने प्रत्याशी के लिए पूरे एकजुट थे। हमने 2 रणनीतियां बनाई थी जिसके बाद कुछ फेरबदल किया गया अगर हमारे में एकता नहीं होती तो उनकी जीत होनी थी। उनकी एकजुटता नहीं थी जिस कारण हमारी जीत हुई। भाजपा से लोगों का मोह भंग हो गया है। लोग तो तंग हैं ही भाजपा के कार्यकत्र्ता ही अपने मंत्रियों से खुश नहीं हैं।

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