Edited By Kuldeep, Updated: 05 Aug, 2019 04:21 PM
देश में नमामि गंगे परियोजना की तरह देश की अन्य सभी मुख्य नदियों के बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र एवं संतुलित विकास के लिए डी.पी.आर. तैयार की जाएगी।
कुल्लू, (दिलीप): देश में नमामि गंगे परियोजना की तरह देश की अन्य सभी मुख्य नदियों के बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र एवं संतुलित विकास के लिए डी.पी.आर. तैयार की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजैक्ट के तहत ब्यास नदी के लिए अरबों रुपए की डी.पी.आर. तैयार की जाएगी। इसके लिए हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एच.एफ.आर.आई.) ने आवश्यक प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इसी प्रक्रिया के तहत एच.एफ.आर.आई. ने सोमवार को कुल्लू में वन्य प्राणी विंग के सम्मेलन कक्ष में एक परामर्श बैठक आयोजित की। वन अरण्यपाल अनिल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों और नगर निकाय के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर अनिल शर्मा ने बताया कि ब्यास नदी बेसिन की डी.पी.आर. के लिए वन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। डी.पी.आर. तैयार करने में सभी संबंधित विभागों के अलावा स्थानीय निकायों और स्थानीय निवासियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। डी.पी.आर. में पर्यावरण व जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, पौधारोपण, कृषि-बागवानी, स्थानीय निवासियों की आजीविका और समग्र विकास के अन्य सभी पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह डी.पी.आर. क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुरूप तथा स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली होनी चाहिए।
वन विभाग नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा
डी.पी.आर. के समन्वयक डा. विनीत जिश्टू ने बताया कि हिमाचल की पांचों मुख्य नदियों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए एच.एफ.आर.आई. को नोडल एजैंसी बनाया गया है। इसमें वन विभाग नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा। डा. जिश्टू ने कहा कि नदियों को सिर्फ एक जलधारा के रूप में ही नहीं देखा जाना चाहिए। इनके साथ पूरी सभ्यता जुड़ी होती है। इसलिए ब्यास बेसिन की डी.पी.आर. जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए सभी विभाग, स्थानीय निकाय और आम लोग अपने सुझाव अवश्य दें तथा विभागीय अधिकारी विस्तृत डाटा प्रस्तुत करें, ताकि ब्यास बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र विकास के सभी पहलुओं को इसमें शामिल किया जा सके।
आम लोगों के साथ सीधा संवाद किया जाएगा
उन्होंने बताया कि डी.पी.आर. के लिए वैब पोर्टल को विशेष रूप से इंटरएक्टिव बनाया जाएगा और इसमें सभी लोगों के सुझाव स्वीकार किए जाएंगे। फील्ड में जाकर भी स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों तथा आम लोगों के साथ सीधा संवाद किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में मंडी और ब्यास बेसिन में आने वाले अन्य जिलों में भी इसी तरह की परामर्श बैठक आयोजित की जाएगी। इस अवसर पर ब्यास की डी.पी.आर. के टीम लीडर विनोद डोगरा ने मुख्य अतिथि और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा विभिन्न विभागों के लिए निर्धारित फॉरमैट की जानकारी दी। एचएफआरआई के पूर्व वैज्ञानिक डा. के.एस. कपूर, जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण संस्थान के प्रभारी डा. आर.के. सिंह और अन्य अधिकारियों ने भी बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे।