Edited By Vijay, Updated: 13 Oct, 2019 04:09 PM
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा जिसे देव महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है। इस दशहरा में कई रंग देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ जंहा अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में अलग-अलग जगह की संस्कृति देखने को मिलती है, वहीं दूसरी ओर यह अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा...
कुल्लू (मनमिंदर): अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा जिसे देव महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है। इस दशहरा में कई रंग देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ जंहा अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में अलग-अलग जगह की संस्कृति देखने को मिलती है, वहीं दूसरी ओर यह अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा लोगों के आस्था केंद्र भी है। लोग दूर-दूर से अपने आराध्य देव-देवताओं के दर्शन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में पहुंच रहे हैं।
बात यदि भगवान रघुनाथ की करें तो यहां ढालपुर स्थति भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर में भी लोगों की भारी भीड़ दर्शनों के लिए उमड़ रही है। लोग भगवान रघुनाथ की हो रही बड़ी पूजा में बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थति दर्ज कर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं।
अयोध्या से लाई गई है पूजा पद्धति
ढालपुर स्थित भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर में होने वाली भगवान रघुनाथ की पूजा-अर्चना और विधि के बारे में अधिक जानकारी देते हुए भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि भगवान रघुनाथ की यह पूजा पद्धति अयोध्या से लाई गई है और आज भी यह पूजा पद्धति यहां पर निभाई जा रही है। उन्होने कहा कि आज के समय में यह पूजा पद्धति अब समाप्त हो गई है और मॉर्डन तरीके से पूजा हो रही है लेकिन कुल्लू में आज भी इस प्राचीन पद्धति को जीवित रखा गया है।
भगवान रघुनाथ के प्रति गहरी आस्था
वहीं भगवान रघुनाथ के दर्शन के लिए आए श्रद्वालुओं पम्मी पराशर व किरण शर्मा का कहना है कि उनकी भगवान रघुनाथ के प्रति गहरी आस्था है और वे हर वर्ष भगवान के दर्शन के लिए यहां पर पंहुचते है। उन्होंने कहा कि लोग दूर- दूर से यहां पर पंहुचते हैं न केवल हिमाचल से ब्लकि अन्य राज्यों से भी लोग यहां पर आते हैं। भगवान के दर पर आकर हर मनोकामना पूर्ण होती है।