ड्रैगन पर भरोसा न कर बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्प करे भारत

Edited By Kuldeep, Updated: 08 Jun, 2020 04:18 PM

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ड्रैगन पर भरोसा न करके भारत बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता के आधार पर डिवैल्प करे। चीन के नरम तेवरों के पीछे भी कोई साजिश हो सकती है।

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): ड्रैगन पर भरोसा न करके भारत बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता के आधार पर डिवैल्प करे। चीन के नरम तेवरों के पीछे भी कोई साजिश हो सकती है। सैन्य स्तर पर बातचीत सहित अन्य बिंदुओं पर भी बात हुई लेकिन फिर भी भारत को अलर्ट रहने की जरूरत है। सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ एवं कारगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर कहते हैं कि चीन की गतिविधियां सीरियस करने वाली रही हैं और चीन हमेशा ऐसा करता रहा है। इस पर सोचना पड़ेगा और इनसे दो टूक पूछना पड़ेगा कि आखिर इनकी मंशा क्या है, बातचीत चल भी रही है। ड्रैगन की इस प्रकार की गतिविधियों के पीछे एक मंशा तो यह हो सकती है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चाइना की आलोचना हो रही है, ऐसे में ध्यान भटकाने के लिए चीन ऐसा कर रहा हो। भारत के सुमदो में अंदर तक हवाई रैकी और लद्दाख में चीन का अंदर तक आना संवेदनशील मसला है, दूसरा पाकिस्तान के कारण चीन हम पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा हो, तीसरा यह भी है कि चीन की आदत ही ऐसी है और ऐसा बार-बार चीन करता आया है।

यहां तक पहुंचने में चीन को लगते हैं 15 मिनट, हमें 2 से अढ़ाई घंटे
खतरे की बात यह भी है कि चीन की तरफ वाले क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर काफी डिवैल्प हो गया है। जिस इलाके में चीन ने लद्दाख के क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिया उस इलाके में चीन को पहुंचने के लिए 15 मिनट लगेंगे और हमें वहां तक पहुंचने के लिए 2 से अढ़ाई घंटे लगेंगे। हमारी ओर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्प नहीं है। हैलीपैड व रोड आदि नहीं हैं। इसलिए चीन के लिए वहां तक पहुंचना आसान है।

आज नहीं तो कल करना ही पड़ेगा यह कार्य
इंफ्रास्ट्रक्चर आज नहीं तो कल डिवैल्प करना ही पड़ेगा और यह जरूरत भी है। 15 हजार फुट से ऊपर की ऊंचाई पर पहुंचने में कई तरह की समस्याएं भी हैं और इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर को डिवैल्प करना पड़ेगा। इस मसले को गंभीरता से लेते हुए यह भी भारत पता करे कि चीन की मंशा क्या है। सीमा पर चीन की इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्प करने की स्पीड काफी अधिक है। यदि कभी पाकिस्तान और चीन के साथ एक साथ युद्ध की स्थिति बनती है तो ऐसे में दोनों फं्र टों पर हम कैसे लड़ पाएंगे। रोहतांग और दूसरा रास्ता बंद हो जाता है तो ऐसे में हमारी मुश्किलें बढ़ेंगी। वैसे तो डोक्लाम की भांति मसले को हल करने को ही तरजीह देना भी बेहतर ही है। चीन हर साल कुछ न कुछ करके भारत की ङ्क्षचता बढ़ाता रहा है।

सोल्जर वाले गुण नहीं दिख रहे चीनी सैनिकों में
विभिन्न प्रांतों में सेवाएं देने के उपरांत बी.एस.एफ. से सेवानिवृत्त हुए कमांडैंट मनोज कुमार शर्मा कहते हैं कि लद्दाख में चीन के सैनिक कामसू लेक तक पहुंच गए। जिस प्रकार की धक्का-मुक्की, लड़ाई चीन के सैनिक कर रहे हैं उसे देखकर यह लगता है कि इनमें सोल्जर वाले गुण ही नहीं हैं। सोल्जर ऐसी हरकतें नहीं करते और न ही इस प्रकार लड़ाई लड़ते। चीन का डिजाइन ही बेहद खतरनाक है। कभी लद्दाख तो कभी अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। चीन के इस डिजाइन से सावधान रहते हुए भारत को सीमा पर खुद को मजबूत करना होगा।

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