कोटरोपी हादसा: मृतक सैनिक के परिवार को मिलेगा 50 लाख मुआवजा, अदालत ने सुनाया फैसला

Edited By Ekta, Updated: 30 Aug, 2019 10:31 AM

kotropi incident

कोटरोपी हादसे का शिकार बने एक परिवार के पक्ष में अदालत ने 49 लाख 24,172 रुपए का मुआवजा ब्याज सहित देने का फैसला सुनाया है। हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से दायर इस मामले में हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा यह मुआवजा राशि घटना के शिकार...

मंडी (ब्यूरो): कोटरोपी हादसे का शिकार बने एक परिवार के पक्ष में अदालत ने 49 लाख 24,172 रुपए का मुआवजा ब्याज सहित देने का फैसला सुनाया है। हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से दायर इस मामले में हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा यह मुआवजा राशि घटना के शिकार बने सैनिक अनिल कुमार की पत्नी, माता और बेटे के पक्ष में अदा की जाएगी। पिता की मौत के वक्त बेटा गर्भ में था, लिहाजा वह भी इस केस में मुआवजे का हकदार बना है। मोटर वाहन एक्सीडैंट क्लेम ट्रिब्यूनल (3) अपर्णा शर्मा के न्यायालय ने बल्द्वाड़ा तहसील के नवाणी निवासी कल्पना देवी, सावित्री देवी और अर्नव ठाकुर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए परिवहन निगम को उक्त मुआवजा राशि 7 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने के आदेश दिए हैं। 

उल्लेखनीय है कि 13 अगस्त, 2017 को सेना में तैनात जवान अनिल कुमार परिवहन निगम की बस में सवार होकर जम्मू से मंडी की ओर आ रहा था कि इसी दौरान पठानकोट-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटरोपी के पास भारी भूस्खलन होने के कारण यह बस मलबे में दब गई थी जिसके चलते बस में यात्रा कर रहे अनिल कुमार सहित 42 यात्रियों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव असलम बेग ने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस दुर्घटना में शिकार हुए पीड़ितों के परिजनों को हर्जाना देकर तुरंत राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश उच्च न्यायालय में एक सितम्बर 2017 को प्रिलिटिगेशन मिडिएशन लोक अदालत का आयोजन किया था लेकिन लोक अदालत में मुआवजा निर्धारित नहीं हो सका था।

मध्यस्थता के लिए 7, 12 और 23 अक्तूबर को दोनों पक्षों के बीच संयुक्त सुनवाई की गई लेकिन इन प्रयासों से भी वांछित परिणाम हासिल न हो सके जिसके चलते जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने अधिवक्ता गीतांजलि शर्मा को पीड़ित परिवार की ओर से मोटर वाहन अधिनियम ट्रिब्यूनल में क्लेम याचिका दायर करने व उन्हें कानूनी सहायता मुहैया करने के लिए बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया गया था। ट्रिब्यूनल ने याचिका को स्वीकारते हुए परिवहन निगम को उक्त हर्जाना राशि ब्याज सहित पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों के पक्ष में 45 दिनों के भीतर अदा करने का फैसला सुनाया है।



 

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