कोटरोपी प्रभावितों का अनोखा विरोध, सरकार के पक्ष में लगाए जिंदाबाद के नारे(Video)

Edited By Vijay, Updated: 31 Jan, 2019 03:14 PM

कोटरोपी हादसे के प्रभावितों ने उनकी सुध न लेने पर राज्य और केंद्र सरकार का आभार जताया है। वीरवार को कोटरोपी के सभी प्रभावित मंडी जिला मुख्यालय पहुंचे और सेरी मंच पर इकट्ठा हुए। यहां उन्होंने एक पोस्टर के माध्यम से सरकार पर कटाक्ष किया और सरकार के...

मंडी (नीरज): कोटरोपी हादसे के प्रभावितों ने उनकी सुध न लेने पर राज्य और केंद्र सरकार का आभार जताया है। वीरवार को कोटरोपी के सभी प्रभावित मंडी जिला मुख्यालय पहुंचे और सेरी मंच पर इकट्ठा हुए। यहां उन्होंने एक पोस्टर के माध्यम से सरकार पर कटाक्ष किया और सरकार के पक्ष में जिंदाबाद के नारे लगाए। हालांकि इस दौरान इन्हें पुलिस ने अनुमति न होने पर रोकने का प्रयास भी किया लेकिन बाद में इन्हें यहां खड़े होकर प्रदर्शन की अनुमति दे दी गई। प्रभावित फुली राम और कमला देवी सहित अन्य लोगों ने बताया कि उन्हें घर से बेघर हुए डेढ़ वर्ष बीतने जा रहा है लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है।
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कोटरोपी हादसे में बेघर हुए थे 13 परिवार

कोटरोपी हादसे में 13 परिवार घर से बेघर हुए थे और इनकी उपजाऊ जमीन इस भीषण भू-स्खलन की चपेट में आ गई थी। यह परिवार इधर-उधर शरण लेकर जैसे-तैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। प्रभावितों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकार के समक्ष अपनी आवाज उठाई लेकिन फाइल शिमला में होने की बात कहकर इस बात से किनारा कर दिया जाता है। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि जल्द से जल्द इन प्रभावितों को जमीन और घर बनाने के लिए पैसा दिया जाए, ताकि ये सही ढंग से अपना जीवन यापन कर सकें। प्रभावितों के साथ आए समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि आज प्रभावितों ने सरकार का धन्यवाद किया है क्योंकि सरकार ने उन्हें संत महात्माओं की तरह खुले में जीना सिखा दिया है। उन्होंने कहा कि अब वह इस बारे में शिमला जाकर जांच पड़ताल करेंगे कि इन प्रभावितों की फाइल कहां पर है और सरकार इसमें विलम्ब क्यों कर रही है।

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13 अगस्त, 2017 की रात को हुआ था भू-स्खलन

बता दें कि 13 अगस्त, 2017 की रात को मंडी जिला के कोटरोपी में हिमाचल के इतिहास का सबसे बड़ा भू-स्खलन हुआ था। इस भू-स्खलन की चपेट में एच.आर.टी.सी. की 2 बसें आई थीं, जिसमें सवार 48 लोगों की मौत हो गई थी। भू-स्खलन के कारण 13 परिवार घर से बेघर हो गए थे, लेकिन अभी तक इनके पुनर्वास का कोई प्रावधान नहीं हो सका है।

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