कारगिल दिवस: शहादत का अपमान, 19 साल बाद भी सड़क को तरस रहा शहीद का गांव

Edited By Ekta, Updated: 23 Jul, 2018 02:14 PM

kargil war even after 19 years the village of shaheed craving the road

कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस है। यह हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन भारत ने पकिस्तान द्वारा छेड़े युद्ध का अंत हुआ था। घोषित रूप से भारत की इस युद्ध में जीत हुई थी। इस युद्ध में कई ऐसे योद्धा थे जिसको याद करके आज...

हमीरपुर (अरविंदर): कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस है। यह हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन भारत ने पकिस्तान द्वारा छेड़े युद्ध का अंत हुआ था। घोषित रूप से भारत की इस युद्ध में जीत हुई थी। इस युद्ध में कई ऐसे योद्धा थे जिसको याद करके आज भी हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। उन्हीं में से एक हैं वीर सपूत दीप चंद राणा। यह हमीरपुर जिला के रहने वाले थे। आज भी जब कारगिल युद्व की बात सामने आती है तो हमीरपुर जिला का जिक्र जरूर होता है। क्योंकि जिला से करीब एक दर्जन सपूतों ने अपनी शहादत दी है। जिसमें बडसर उपमंडल के वीर सपूत दीप चंद राणा ने भी दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपनी जान गवां शहादात का जाम पिया था। दीप चंद राणा के परिजन भी कारगिल युद्व की दास्तां को याद करके नम हो जाते हैं। 
PunjabKesari

6 जुलाई 1999 को कारगिल में दुश्मनों को खदेड़ते हुए दी थी कुर्बानी 
शहीद दीप चंद राणा के 75 वर्षीय पिता बसन्त सिंह ने बताया कि वे भी आर्मी से रिटायर्ड हैं। उन्होंने ने भी 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई लड़ी है। उन्होंने ने बताया कि दीप काफी होनहार था। स्कूल समय से ही उसको बॉक्सिंग और कराटे खेलने का बड़ा शौकीन था। वह फौज में 18 वर्ष की उम्र में भर्ती हुआ था। उसने ट्रैनिंग के दौरान निशानेबाजी में कंपनी कमांडर से मैडल प्राप्त किया था। भर्ती होने के बाद फरवरी 1999 में 23 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी। शादी के अभी चार माह ही हुए थे। 6 जुलाई 1999 को कारगिल में इस वीर ने दुश्मनों को पीछे खदेड़ते हुए जान कुर्बान कर दी। मुझे फक्र है कि मेरा बेटा देश की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है।
PunjabKesari

19 साल बाद भी सड़क को तरस रहा शहीद का गांव
वहीं शहीद की माता सत्या देवी ने बताया किमेरा बेटा भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है। परंतु जब उसकी याद आती है बहुत दुख होता है। जब वह शहीद हुआ था तो उसकी नई नवेली दुल्हन दो माह की गर्भवती थी। आज उसकी बेटी 19 साल की हो चुकी है। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके घर को जानी वाली सड़क को पक्का कर दिया जाए। इसके अतिरिक्त गांव के शमशानघाट पर शेड डाल दिया जाए। ताकि लोगों को सुविधा मिल सके। उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन विजय के दौरान 6 जुलाई 1999 के दिन भी जिला के दो सुरमा देश के लिए कुर्बान हो गए। उनमें बड़सर के बरोटी गांव के दीप चंद राणा 13 जैक राइफल में 18 वर्ष की आयु में भर्ती हुए थे, उन्हीं वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में 6 जुलाई 1999 को 23 साल की उम्र में शहादत का जाम पिया।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!