संकट के दौर से गुजर रहा कांगड़ा चाय उद्योग

Edited By Ekta, Updated: 20 Jun, 2018 10:57 AM

kangra tea industry undergoing crisis

सिकुड़ता क्षेत्र, कम होते उत्पादक, श्रमिक समस्या, हरी पत्ती की कमी यह वह प्रश्न है जो संकट के दौर से गुजर रहा कांगड़ा चाय उद्योग को कचोट रहे हैं। एक बार फिर यह प्रश्न उठे। प्रश्र उठे चाय उत्पादकों की ओर से। कांगड़ा चाय को भले ही ज्योग्राफिकल...

पालमपुर (भृगु): सिकुड़ता क्षेत्र, कम होते उत्पादक, श्रमिक समस्या, हरी पत्ती की कमी यह वह प्रश्न है जो संकट के दौर से गुजर रहा कांगड़ा चाय उद्योग को कचोट रहे हैं। एक बार फिर यह प्रश्न उठे। प्रश्र उठे चाय उत्पादकों की ओर से। कांगड़ा चाय को भले ही ज्योग्राफिकल इंडिकेशन प्राप्त हो चुका है परंतु इस चाय उद्योग पर संकट बरकरार है। पालमपुर में आयोजित सेलर बायर मीट में इन कारणों तथा समस्याओं पर एक बार फिर आवाज उठी। आंकड़ों में लगभग 5900 चाय उत्पादक हैं परंतु एक सर्वेक्षण के अनुसार इनकी संख्या घटकर 3700 रह गई है। सैमीनार में कृषि विभाग के निदेशक डा. देशराज, अतिरिक्त निदेशक डा. एन.के. विधान, चाय तकनीकी अधिकारी डा. डी.एस. कंवर, डा. आर.के. सूद, डा. शशी सिंह, अभिषेक पांडे व वीना श्रीवास्तव आदि सहित बड़ी संख्या में चाय उत्पादक उपस्थित रहे।


वैल्यू एडीशन किया जाना चाहिए
कांगड़ा चाय भारत में उत्पादित चाय में प्रीमियम उत्पाद है, टी बोर्ड कांगड़ा चाय की प्रमोशन दार्जिलिंग आसाम तक नीलगिरी चाय की भांति राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कर रहा है। कांगड़ा चाय जी.आई.पी. प्राप्त है, इसकी विशेष गुणों के कारण इसका वैल्यू एडीशन किया जाना चाहिए। टी टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। 


टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित किया जाए 
कांगड़ा चाय को प्राप्त जी.आई. के लाभों के बारे में उत्पादकों को जागरूक करना होगा। हिमाचल को प्राप्त 7 जी.आई. को टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। जी.आई. टैग लगाने से कांगड़ा चाय को अधिक मूल्य प्राप्त होगा क्योंकि जी.आई. गुणवत्ता को सुनिश्चित बनाता है।


कांगड़ा चाय को शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के अंतर्गत लाया जाएगा
शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के अंतर्गत कांगड़ा चाय को भी लाया जाएगा। इसके लिए चाय उत्पादक आगे आएं तथा शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के अंतर्गत चाय उत्पादन को अपनाएं। इसके अतिरिक्त अनेक स्थानों पर टी कैफेटेरिया स्थापित किए जाएं ताकि बाहर से आने वाले लोगों को कांगड़ा चाय के बारे अवगत करवाया जा सके।


चाय लगाओ और रोजी कमाओ योजना आरंभ की जाए
वन लगाओ, रोजी कमाओ की तर्ज पर चाय लगाओ और रोजी कमाओ योजना आरंभ की जाए जिसके अंतर्गत वन भूमि में भी चाय उत्पादन आरंभ किया जाए ताकि प्रचुर मात्रा में हरी पत्ती प्राप्त हो सके।

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