Edited By Ekta, Updated: 12 Aug, 2019 04:21 PM
कांगड़ा के ज्वाली में तमाम असुविधाओं के बीच भोगरवा गांव के प्रभात सिंह का परिवार जिंदगी जीने को मजबूर है। सरकार की अनदेखी ज्यादा से ज्यादा जिस स्तर तक पहुंच सकती थी, ये उसी स्तर की तस्वीरें हैं। हालात ऐसे हैं कि जब बरसात आती है तो इनके सारे जख्मों...
कांगड़ा (दौलत चौहान): कांगड़ा के ज्वाली में तमाम असुविधाओं के बीच भोगरवा गांव के प्रभात सिंह का परिवार जिंदगी जीने को मजबूर है। सरकार की अनदेखी ज्यादा से ज्यादा जिस स्तर तक पहुंच सकती थी, ये उसी स्तर की तस्वीरें हैं। हालात ऐसे हैं कि जब बरसात आती है तो इनके सारे जख्मों को हर कर चली जाती है और अगली बार तक जब जख्म भरने वाला होता है तब फिर से वो बरसात दस्तक दे देती है। बता दें कि करीब 3 साल पहले भारी बारिश के कारण प्रभात का घर गिर गया था तब इन्हें लगा कि कुदरत ने कहर बरपाया तो कोई बात नहीं। प्रधानमंत्री मोदी जी हैं, उनकी आवास योजना के तहत घर फिर से बन जाएगा। तब तक किसी और के घर में रह लेते हैं।
परिवार को बीपीएल योजना में भी जोड़ दिया गया लेकिन 56 इंच छाती वालों के दावों की हकीकत तो देखिए कि बेगानों के झोंपड़ी में रहने वाले इस परिवार के सिर से आज तक तिरपाल की छत नहीं हट पाई। प्रभात की इस दर्दभरी दास्तां से सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है। आज तक बीपीएल परिवार होने के नाते मिलने वाली कोई भी सरकारी सहूलत नहीं मिली है। यहां तक कि मेरे परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस का कनैक्शन भी संबंधित बिभाग नही दे पाया है।