हिमालय में पाए जाने वाले जंगली पेड़ के फल से बनेगा जैट फ्यूल

Edited By Vijay, Updated: 07 Jun, 2019 10:47 PM

jet fuel will be made from fruit of wild tree found in himalaya

हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले जंगली पेड़ से विमान ईंधन बनेगा। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों ने यह बड़ी सफलता प्राप्त की है। अब तक यह पेड़ बड़ी संख्या में फल तो पैदा करता है परंतु इसका उपयोग जंगली होने के कारण नहीं...

पालमपुर (भृगु): हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले जंगली पेड़ से विमान ईंधन बनेगा। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों ने यह बड़ी सफलता प्राप्त की है। अब तक यह पेड़ बड़ी संख्या में फल तो पैदा करता है परंतु इसका उपयोग जंगली होने के कारण नहीं किया जाता। हिमालय में पाई जाने वाली जैव विविधता पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों ने जंगली पेड़ के फल से जैट फ्यूल बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित की है। इसे जैट फ्यूल के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। देश बड़ी मात्रा में जैट फ्यूल अन्य देशों से आयात करता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि निरंतर जमीन से तेल का उत्खनन होने के कारण आने वाले वर्षों में तेल की कमी होना निश्चित है, ऐसे में रिन्यूअल सोर्स इस कमी को पूरा कर सकते हैं।

बड़े पैमाने पर ले जाने की प्रक्रिया आरंभ

प्रयोगशाला में इस प्रौद्योगिकी को विकसित करने में सफलता के बाद अब इसे बड़े पैमाने पर ले जाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। हिमालय जैव संपदा प्रयोग के संस्थान पालमपुर में आई.आई.पी. देहरादून के साथ मिलकर इसका मूल्यांकन किया है तथा मूल्यांकन में यह जेट फ्यूल पूरी तरह से खरा उतरा है। आई.आई.पी. देहरादून पैट्रोलियम के क्षेत्र में कार्य कर रहा है, ऐसे में हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में जंगली पेड़ के फल के तेल से जैट फ्यूल को लेकर आई.आई.पी. देहरादून का सहयोग भी लिया है। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने धान, गेहूं व मक्का के अवशेष से भी बायोफ्यूल तैयार करने पर कार्य आरंभ किया है तथा यह कार्य अब एडवांस स्टेज पर पहुंच चुका है।

क्या कहते हैं हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक

हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि संस्थान ने हिमालय बैल्ट में पाए जाने वाले जंगली पेड़ से बायोफ्यूल बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित की है। इस पेड़ का अभी तक किसी प्रकार का उपयोग नहीं किया जाता है। यह जंगलों में स्वत: उगता है। इस पेड़ के फल से निकलने वाले तेल को जैट फ्यूल में कन्वर्ट करने में सफलता प्राप्त हुई है। प्रयोगशाला स्तर पर सफलता के बाद अब इसे बड़े पैमाने पर ले जाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। आई.आई.पी. देहरादून के साथ संयुक्त रूप से किया गया मूल्यांकन शत-प्रतिशत खरा पाया गया है।

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