Edited By kirti, Updated: 12 Jul, 2019 01:24 PM
सिरमौर की प्रसिद्ध धार्मिक एवं गिरी नदी की सहायक जलाल नदी का दिन प्रतिदिन जलस्तर घटने के कारण इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। जलाल नदी सिरमौर की प्रसिद्ध नदियों में से एक है जलाल नदी का उद्गम पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के जयहर, मढ़ीघाट नामक स्थान से...
सिरमौर(सतीश): सिरमौर की प्रसिद्ध धार्मिक एवं गिरी नदी की सहायक जलाल नदी का दिन प्रतिदिन जलस्तर घटने के कारण इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। जलाल नदी सिरमौर की प्रसिद्ध नदियों में से एक है जलाल नदी का उद्गम पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के जयहर, मढ़ीघाट नामक स्थान से होता है आगे चलकर इस नदी में क्षेत्र के कई छोटे-छोटे नाले व प्राकृतिक जल स्त्रोत का पानी इसमें मिलता है।
जलाल नदी अपने उद्गम से बागथन, महिपुर ,खादरी होते हुए दादाहु में गिरी नदी में मिलती है। पिछले कुछ वर्षों से नदी का जलस्तर लगातार घटता जा रहा है जिस कारण इस नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यह नदी बरसात के दौरान अपने उफान पर होती है परंतु धीरे-धीरे इसका जलस्तर कम हो जाता है और गर्मी आने तक यह नदी दादाहु नामक स्थान पर गिरि नदी के साथ होने वाले संगम स्थल से पहले ही सूख जाती है। जिस कारण साथ लगते हैं ग्रामीणों को पशुओं को पानी पिलाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जिला सिरमौर की इस प्रसिद्ध जलाल नदी का अपना धार्मिक इतिहास भी है। जलाल नदी का नाम पहले सूरजमुखी नदी हुआ करता था। मान्यता है कि सतयुग काल में भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध करने के बाद खून से रंगा हुआ अपना हाड़ा कुल्हाड़ा (परसा) इस नदी में धोया था जिस कारण इस नदी के पानी का रंग लाल हो गया। उसी दिन से इस नदी का नाम जलाल पड़ गया।