B'day Special: जानिए जिंदगी में कैसे संघर्ष कर सत्ता के शिखर पर पहुंचे CM जयराम (PICS)

Edited By Ekta, Updated: 06 Jan, 2019 09:30 AM

jairam thakur birthday

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आज 54वां जन्मदिन है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे सीएम जयराम ठाकुर जिंदगी में संघर्ष कर सत्ता के शिखर पर पहुंचे। मंडी जिला का सराज विधानसभा क्षेत्र। इस विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार...

मंडी (नीरज): हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आज 54वां जन्मदिन है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे सीएम जयराम ठाकुर जिंदगी में संघर्ष कर सत्ता के शिखर पर पहुंचे। मंडी जिला का सराज विधानसभा क्षेत्र। इस विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है। प्राकृतिक सुंदरता के कारण चर्चा में रहने वाला सराज विधानसभा क्षेत्र आज किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा है क्योंकि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला शख्स आज प्रदेश की बागडोर संभाल रहा है। इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुराहग के तांदी गांव में है। प्रदेश के मुख्यमंत्री का घर। 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृक्कु देवी के घर जन्मे जयराम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा। परिवार में 3 भाई और 2 बहने थी। पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।
PunjabKesari

जयराम तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जय राम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वह मंडी आए और यहां से बीए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की। जब जय राम ठाकुर वल्लभ कालेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। यहीं से शुरूआत हुई जय राम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की। जय राम ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। एबीवीपी के साथ-साथ संघ के साथ भी जुड़े और कार्य करते रहे। घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया और 1992 को वापिस घर लौटे। घर लौटने के बाद वर्ष 1993 में जय राम ठाकुर को भाजपा ने सराज विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया।
PunjabKesari

मात्र 26 वर्ष की आयु में जयराम ठाकुर ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। जब घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया। जय राम ठाकुर के बड़े भाई बीरी सिंह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों ने जय राम ठाकुर को राजनीति में न जाकर घर की खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति इजाजत नहीं दे रही थी। जय राम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा का चुनाव लड़ा। यह चुनाव जय राम ठाकुर हार गए। वर्ष 1998 में भाजपा ने फिर से जय राम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा। इस बार जय राम ठाकुर ने जीत हासिल की और उसके बाद कभी विधानसभा चुनावों में हार का मुंह नहीं देखा। वर्ष 1995 में जय राम ठाकुर ने जयपुर की डा. साधना सिंह के साथ शादी की। डा. साधना पेशे से डाक्टर हैं और अपनी पति की कामयाबी में इनका भी अहम योगदान है।
PunjabKesari

डा. साधना ने घर को तो बखूबी संभाला ही साथ में अपनी पति के हर कार्य में उनका साथ दिया और हर समय एक मजबूत ढाल की तरह उनके साथ खड़ी रही। हालांकि जब जयराम ठाकुर की शादी हुई उस वक्त जय राम ठाकुर पहला चुनाव हारे हुए थे और राजनीति में अभी उनकी नई-नई पहचान ही बन रही थी। जय राम ठाकुर भी मानते हैं कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी पत्नी का भी अहम योगदान रहा है। जय राम ठाकुर की दो बेटियां हैं और दोनों टांडा मेडिकल कालेज से डाक्टर की पढ़ाई कर रही हैं।
PunjabKesari

ठाकुर एक बार सराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, युवा मोर्चा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। जब जय राम ठाकुर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। जय राम ठाकुर ने उस दौरान सभी नेताओं पर अपनी जबरदस्त पकड़ बनाकर रखी थी और पार्टी को एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही कारण है कि आज इस नेता को प्रदेश के शीर्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
PunjabKesari

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!