Edited By Ekta, Updated: 07 Jan, 2019 09:57 AM
जयराम सरकार के पहले बजट में शुरू की गईं योजनाओं को धरातल पर उतारने में बैंक रोड़ा अटका रहे हैं। बीते साल 9 मार्च को पेश बजट में सरकार ने बेरोजगारी खत्म करने, स्वरोजगार को बढ़ावा देने, किसानों के उत्थान, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, पर्यटन कारोबार के...
शिमला (देवेंद्र हेटा): जयराम सरकार के पहले बजट में शुरू की गईं योजनाओं को धरातल पर उतारने में बैंक रोड़ा अटका रहे हैं। बीते साल 9 मार्च को पेश बजट में सरकार ने बेरोजगारी खत्म करने, स्वरोजगार को बढ़ावा देने, किसानों के उत्थान, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, पर्यटन कारोबार के विस्तार जैसे कामों के लिए 28 नई योजनाएं शुरू की थीं लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारियों की उदासीनता के चलते लोगों को ऋण नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से इन योजनाओं से अच्छे रिजल्ट नहीं मिल पा रहे हैं। आलम यह है कि हिमाचल सरकार के उपक्रमों को भी कुछ राष्ट्रीयकृत बैंक कर्ज देने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो जयराम सरकार की नई योजनाओं की समीक्षा में मायूस करने वाले तथ्य सामने आए हैं। इससे नेता और अफसरशाही चिंता में है। बैंक अधिकारियों के उदासीन रवैये को देखते हुए आगामी वित्त वर्ष 2019-20 को लोक लुभावना बजट दे पाना मुश्किल हो गया है,जबकि इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत सरकार हर क्षेत्र को टच करना चाहेगी।
इससे जाहिर है कि सरकार व बैंकों में आपसी तालमेल न होने से योजनाओं को धरातल पर उतारना मुश्किल हो गया है।खासकर नीरव मोदी और विजय माल्या द्वारा बैंकों को करोड़ों की चपत लगाने के बाद बैंक छोटे-छोटे ऋण भी मंजूर नहीं कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सरकार के जनमंच जैसे कार्यक्रमों में मंत्री बैंक अधिकारियों को छोटे ऋण देने के निर्देश दे रहे हैं लेकिन कार्यक्रम खत्म होते ही बैंक अधिकारियों के सुर बदल जाते हैं और कर्ज के लिए गारंटी मांगी जाती है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि गारंटी केवल वहीं लोग दे पाते हैं, जिनके पास पहले से ही पंूजी है। निर्धन लोगों को कर्ज की शर्तों के फेर में उलझा कर लोन से वंचित रखा जा रहा है। बैंकों द्वारा कर्ज न दिए जाने की शिकायतें लगातार सरकार को भी मिल रही हैं लेकिन 52,000 करोड़ से ज्यादा के कर्ज में खुद डूब चुकी सरकार इस दिशा में चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है।
जयराम की कुछ प्रमुख योजनाएं
जयराम सरकार ने अपने पहले बजट में किसानों, बेरोजगारों व महिलाओं के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री युवा आजीविका योजना, मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना, हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना, सौर सिंचाई योजना, बागवानी सुरक्षा योजना, हिमाचल पुष्प क्रांति योजना, नई राहें-नई मंजिल योजना व दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना समेत कुल 28 योजनाएं शुरू की हैं लेकिन किसी भी योजना से सरकार को आशानुरूप रिजल्ट नहीं मिल पाए हैं।