अपने कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने में विफल हुई Jairam सरकार : मुकेश अग्निहोत्री

Edited By Simpy Khanna, Updated: 06 Jan, 2020 06:05 PM

jairam government failed

प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने विधान सभा के विशेष सत्र के दौरान पूरे साल का लेखा-जोखा सदन में न रखे जाने को लेकर मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर और उनके मंत्रिमंडल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक परंपराओं के मुताबिक किसी भी नए वर्ष का...

शिमला : प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने विधान सभा के विशेष सत्र के दौरान पूरे साल का लेखा-जोखा सदन में न रखे जाने को लेकर मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर और उनके मंत्रिमंडल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक परंपराओं के मुताबिक किसी भी नए वर्ष का पहला सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से आरम्भ होता है जिसमें सरकार के बीते एक वर्ष के कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत होता है, जिस पर सत्तापक्ष और विपक्ष द्वारा चर्चा की जाती है। परंतु इस बार प्रदेश सरकार अपने कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने में विफल हुई है।

उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि या तो अफसरशाही इस अल्पकाल में सरकार की उपलब्धियों को तैयार ही नहीं कर पाई या फिर सरकार के पास गिनाने को उपलब्धियां ही नहीं हैं। ​मुकेश अग्निहोत्री ने परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल दो ही परिस्थितियों में विधान सभा में आमंत्रित किए जाते हैं। एक जब नई सरकार का गठन होने के पश्चात् विधान सभा का पहला सत्र हो और दूसरा जब नये साल का पहला सत्र हो जिसमें पिछले वर्ष की सरकार की उपलब्धियां, अभिभाषण के रूप में दर्शायी जाती है। परंतु हिमाचल प्रदेश सरकार ने साल का पहला सत्र तो बुला लिया लेकिन सरकार चर्चा से भाग रही है।

उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ कि यह सरकार चर्चा से बच रही है। सरकार ने पिछले दो वर्षों के कार्यकाल में विधान सभा की निर्धारित आवश्यक बैठकों को भी पूरा नहीं किया और इसके चलते नियमों में विशेष छूट ली गई। पिछले वर्ष तो विधान सभा सत्र की 35 बैठकों के मुकाबले 4-5 बैठकें कम हुई हैं। सरकार यदि चर्चा और बहस के प्रति गंभीर और तैयार होती तो कुछ अन्य राज्यों के तर्ज पर पहले सत्र की अवधि राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के लिए बढ़ा सकती थी।

​उन्होंने कहा कि जहां विशेष सत्र में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण को अन्य दस वर्षों के लिए अर्थात् 25 जनवरी, 2030 तक जारी रखने का‍ प्रस्ताव पारित करना है। वहीं संविधान के अनुच्छेद-176 का भी ध्यान रखना चाहिए था। भारत के संविधान के अनुच्छेद-176 के मुताबिक राज्यपाल सिर्फ़ पहले सत्र में ही विधान सभा आते हैं। राज्यपाल को संविधान का प्रहरी होने के नाते, सरकार को अनुच्छेद-176 का हवाला देते हुए अपने अभिभाषण पर चर्चा और सत्र को करवाने के लिए निर्देश देना चाहिए था। वैसे भी मौजूदा सरकार नियमों को ताक पर रखते हुए ही कार्य कर रही है।

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