Edited By Vijay, Updated: 06 Nov, 2019 11:25 PM
हिमाचल में अब किसी नाबालिग बच्चे और महिला का जबरन धर्म परिवर्तन करवाए जाने पर अधिकतम 7 साल की कैद होगी। इसके साथ ही अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों के साथ भी ऐसा किया गया तो सजा का यही प्रावधान होगा।
शिमला (राक्टा): हिमाचल में अब किसी नाबालिग बच्चे और महिला का जबरन धर्म परिवर्तन करवाए जाने पर अधिकतम 7 साल की कैद होगी। इसके साथ ही अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों के साथ भी ऐसा किया गया तो सजा का यही प्रावधान होगा। गौर हो कि प्रदेश विधानसभा ने मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम-2019 को पारित किया था। इसी कड़ी में विधानसभा द्वारा पारित कानून को राजभवन की मंजूरी मिल गई है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की मंजूरी के बाद सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है।
प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2019 लागू
ऐसा होने से अब प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2019 लागू हो गया है, ऐसे में अब राज्य में प्रलोभन, जालसाजी या जबरन किया गया धर्म परिवर्तन भी गैर-जमानती अपराध माना जाएगा। धर्मांतरण के मकसद से की गई शादी भी अमान्य होगी। व्यक्तिगत ही नहीं, संस्थागत धर्मांतरण अर्थात संस्थाओं के माध्यम से करवाए जाने वाले धर्मांतरण पर भी रोक होगी। इस बिल की धारा-3 में प्रावधान किया है कि कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या अन्य तरह से किसी व्यक्ति को मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक असर, प्रलोभन देकर या किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में बदलने का प्रयास नहीं करेगा।
अवहेलना करने पर जेल व दंड दोनों का प्रावधान
कानून की अवहेलना करने की स्थिति में जेल व दंड दोनों का प्रावधान किया गया है। कानून में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। खासतौर पर जेल का प्रावधान धर्मांतरण पर रोक के मकसद से ही किया गया है। नए कानून में सजा के भी 2 प्रावधान किए हैं। खासतौर पर नाबालिगों, महिलाओं अथवा एससी, एसटी वर्गों के लोगों के जबरन धर्मांतरण पर कम से कम 2 तथा अधिकतम 7 साल की सजा होगी। अन्य वर्गों के धर्मांतरण पर एक से 5 साल तक की सजा का प्रावधान कानून में किया गया है। इसके साथ ही किसी संस्था द्वारा धर्मांतरण करवाने की स्थिति में उसका पंजीकरण रद्द किया जाएगा।
जिला मैजिस्ट्रेट को सूचना न दी तो भी कैद
एक से दूसरे धर्म को अपनाने के लिए इच्छुक व्यक्ति को एक महीना पहले जिला मैजिस्ट्रेट को सूचना देनी होगी। इसके साथ ही उसे यह साबित करना होगा कि वह स्वेच्छा से ऐसा कर रहा है। जिला मैजिस्ट्रेट ऐसी सूचना मिलने के बाद इसकी पुलिस या किसी अन्य एजैंसी से जांच करवाएंगे। ऐसी ही सूचना उस धर्म पुजारी को भी देनी होगी, जो धर्मांतरण समारोह का आयोजन करवा रहा है। इसकी भी जिला मैजिस्ट्रेट पुलिस या किसी अन्य एजैंसी से जांच करवाएगा। उल्लंघन होने पर एक साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।