Edited By Ekta, Updated: 08 Feb, 2019 12:54 PM
प्रदेश तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आई.टी.आई. ट्रेनर की रद्द कर दी गई भर्ती प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बनती जा रही है। ज्वाइनिंग की आस में पिछले दो महीनों से बैठे 248 अनुदेशकों ने आमरण अनशन पर बैठने की धमकी दी है। उनका कहना है कि सरकार को अपना...
सोलन (पाल): प्रदेश तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आई.टी.आई. ट्रेनर की रद्द कर दी गई भर्ती प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बनती जा रही है। ज्वाइनिंग की आस में पिछले दो महीनों से बैठे 248 अनुदेशकों ने आमरण अनशन पर बैठने की धमकी दी है। उनका कहना है कि सरकार को अपना फैसला वापस लेना होगा। सरकार एक ओर रोजगार देने की बात कर रही है और दूसरी ओर चयनित अभ्यर्थियों से रोजगार छीन रही है। ट्रेनर की भर्ती रद्द होने के बाद चयनित अनुदेशकों ने एक संघर्ष समिति का गठन भी किया है। यहां पर विदित रहे कि प्रदेश तकनीकी शिक्षा विभाग ने मंगलवार को पिछले दो महीनों से ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे ट्रेनरों को बड़ा झटका देते हुए, इस भर्ती को ही रद्द कर दिया था।
सबसे बड़ी बात यह है कि विभाग ने चयनित टे्रनरों को 7 दिसम्बर को स्टेशन भी अलॉट कर 10 दिसम्बर को नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए थे लेकिन विभाग ने 11 दिसम्बर को सभी आई.टी.आई. को भेजी ई.मेल के माध्यम से चयनित ट्रेनरों की ज्वाइनिंग लेने पर रोक लगा दी। तकनीकी शिक्षा विभाग ने आई.एम.सी. (इंस्टीच्यूट मैनेजमैंट कमेटी) और एस. डब्ल्यू. एफ ( स्टूडैंट वैल्फेयर फंड) के तहत आई.टी.आई. में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए ट्रेनरों की भर्ती की थी। इसके लिए आई.टी.आई. (पी.डब्ल्यू.डी.) सुंदरनगर में 28 सितम्बर से 4 अक्तूबर, आई.टी.आई. शाहपुर में 20 अगस्त से 23 अगस्त व 5 से 9 अक्तूबर, आई.टी.आई. शिमला में 20 सितम्बर से 25 सितम्बर तथा आई.टी.आई. उदयपुर में 18 सितम्बर से 19 सितम्बर को ट्रेनर के साक्षात्कार हुए थे। यही नहीं तकनीकी शिक्षा विभाग ने 16 नवम्बर को इस भर्ती प्रक्रिया का रिजल्ट निकाला।
स्टेशन के आबंटन होने के बाद कई लोगों ने सरकारी नौकरी के चक्र में अपनी प्राइवेट नौकरी भी छोड़ दी लेकिन यह भर्ती रद्द होने के बाद अब उन्हें प्राइवेट नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है। इस भर्ती में चयनित हुए अनुदेशक प्रशांत, रमेश, गिरी, टेक सिंह, रवि, सोनिका, पंकज, आशीष, आशीष मेहता, कमलेश, किरण व ललित ने यहां जारी अपने बयान में बताया कि उन्होंने इस भर्ती की परीक्षा के लिए 200-200 रुपए की फीस जमा की थी। क्या सरकार ने बेरोजगारों से पैसा कमाने के लिए यह भर्ती की थी जिसे बाद में रद्द कर दिया। यह पढ़े-लिखे बेरोजगारों के साथ भद्दा मजाक है। चयनित हुए अनुदेशकों ने कहा कि यदि सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो उनके पास आमरण अनशन पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। विभाग ने केवल दो महिलाओं की शिकायत पर इस भर्ती को रद्द कर दिया।