बच्चों की फीस से गर्म हो रहीं ITI के स्टाफ की जेबें

Edited By Ekta, Updated: 29 Jul, 2018 11:36 AM

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राज्य के अपग्रेडिड औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को अब लूट की खुली छूट नहीं दी जाएगी। राज्य सरकार आई.एम.सी. (इंस्टीच्यूट मैनेजमैंट कमेटी) के नाम पर बच्चों से वसूली जाने वाली फीस की बंदरबांट पर रोक लगाने जा रही है। बताया जा रहा है कि बच्चों से जो पैसा...

शिमला (देवेंद्र हेटा): राज्य के अपग्रेडिड औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को अब लूट की खुली छूट नहीं दी जाएगी। राज्य सरकार आई.एम.सी. (इंस्टीच्यूट मैनेजमैंट कमेटी) के नाम पर बच्चों से वसूली जाने वाली फीस की बंदरबांट पर रोक लगाने जा रही है। बताया जा रहा है कि बच्चों से जो पैसा फीस के रूप में इकट्ठा किया जाता है, उसे ऑनरेरियम के नाम पर पूरे स्टाफ में बांट दिया जाता है। इससे स्टाफ की जेबें तो खूब गर्म हो रही हैं, लेकिन प्रशिक्षणार्थियों के अभिभावकों पर इसका वित्तीय बोझ पड़ रहा है। प्रदेश सरकार के आदेश संख्या ई.डी.एन. (टी.ई.) एफ (9)1/2000 के मुताबिक चौकीदार, सफाई कर्मी व चपड़ासी को 50 रुपए प्रति माह, ट्रेनिंग क्लर्क को 70 रुपए, इंस्ट्रक्टर को 100 रुपए, फोरमैन को 150 रुपए तथा प्रिंसिपल को 300 रुपए प्रति माह एक ट्रेड का दिया जाता है। 


सूत्रों की मानें तो कुछ आई.टी.आई. में 35 से 40 ट्रेड चल रहे हैं। ऐसे में 40 ट्रेड वाली एक आई.टी.आई. में एक प्रिंसिपल को प्रति माह 10 हजार रुपए से ज्यादा प्रतिमाह बच्चों की फीस से ऑनरेरियम मिल रहा है। यह ऑनरेरियम प्रिंसिपल समेत पूरे स्टाफ को वेतन के अलावा मिलता है। भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक यह ऑनरेरियम केवल बच्चों को पढ़ाने वाले ट्रेनर को मिलना चाहिए। इस पैसे को रॉ मैटीरियल (तार, बल्ब, लकड़ी, लोहा, कागज व सॉफ्टवेयर इत्यादि) पर भी खर्च किया जा सकता है, जबकि हिमाचल की आई.टी.आई. में आई.एम.सी. के पैसे से पूरा स्टाफ मजे ले रहा है। यही वजह है कि हिमाचल देश के उन चुनिंदा राज्यों में शुमार है जहां तकनीकी शिक्षा सबसे महंगी है। 


हिमाचल में 50 से ज्यादा सरकारी अपग्रेडिड आई.टी.आई. चल रही हैं। इनमें सैंकड़ों बच्चे विभिन्न व्यवसायों में शिक्षा ले रहे हैं। बहुत सी आई.टी.आई. में कुछ ट्रेड 100 फीसदी बच्चों की फीस से ही चल रहे हैं। सवाल उठता है कि जब आई.टी.आई. के रैगुलर स्टाफ को सरकार प्रत्येक माह मोटी तनख्वाह दे रही है तो इन्हें ऑनरेरियम किस बात का दिया जा रहा है। यह देखते हुए पूर्व धूमल सरकार ने साल 2012 में ऑनरेरियम को बंद किया था, लेकिन वीरभद्र सरकार ने इसे साल 2015 में फिर से शुरू कर दिया।


क्या होती है आई.एम.सी.?
प्रदेश की सभी अपग्रेडिड आई.टी.आई. को आई.एम.सी. यानि इंस्टीच्यूट मैनेजमैंट कमेटी रन करती है। आई.टी.आई. के स्टाफ को आई.एम.सी. के बजट से ऑनरेरियम दिया जाता है। आई.एम.सी. के पास भी बच्चों की फीस से पैसा आता है।

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