पुलिस का मुखबिर बन दे रहा था नशे के कारोबार को अंजाम

Edited By Vijay, Updated: 09 Aug, 2018 04:07 PM

intoxicating business by become police informer

युवा पीढ़ी की नशों में नशीली दवाइयों का जहर घोलने का काम बड़े स्तर पर चला हुआ है। यह धंधा इस कदर सफलतापूर्वक चला हुआ है कि इसे अंजाम देने वाले हर माह लाखों कमा रहे हैं। इस बात का आभास बालू में पुलिस द्वारा एक घर पर की छापामारी के दौरान पकड़ी गई...

चम्बा: युवा पीढ़ी की नशों में नशीली दवाइयों का जहर घोलने का काम बड़े स्तर पर चला हुआ है। यह धंधा इस कदर सफलतापूर्वक चला हुआ है कि इसे अंजाम देने वाले हर माह लाखों कमा रहे हैं। इस बात का आभास बालू में पुलिस द्वारा एक घर पर की छापामारी के दौरान पकड़ी गई नशीली दवाइयों और लाखों रुपए की नकद राशि से हो जाता है। पुलिस के हत्थे चढ़ा आरोपी इमरान स्वयं इस कारोबार को अंजाम देता था और उसका धंधा करने का मुख्य केंद्र बालू ही था। बालू एक ऐसा स्थान है जो चम्बा के 3 उपमंडलों सलूणी, चुराह व चम्बा का केंद्र बिंदू है। हर दिन हजारों युवा बालू से ही होकर आते-जाते हंै, ऐसे में इमरान को अपने इस धंधे को अंजाम देने के लिए कोई अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती थी।

सुबह ही इमरन के पास पहुंचने शुरू हो जाते थे युवा
सूत्रों की मानें तो नशीली दवाइयों के शौकीन व आदी हो चुके युवा सुबह ही बालू में इमरान के पास पहुंचने शुरू हो जाते थे। यह धंधा शाम तक चला रहता था। सुबह के समय गांवों के युवा तो शाम के समय शहर के युवा इमरान से नशीली दवाइयां खरीदने के लिए बालू का रुख करते थे। इमरान नशे के एक कैप्सूल को 4 से 5 गुणा अधिक दामों पर बेचता था। पुलिस सूत्रों की मानें तो वह नशीली दवाइयों को खरीदने के लिए जिला से बाहर नहीं जाता था लेकिन पंजाब से कुछ लोग उसके पास माल की खेप लेकर पहुंच जाते थे।

चम्बा कालेज के युवा धंधे का मुख्य केंद्र बिंदू
इमरान ने अपने नशे के इस कारोबार को युवाओं के बीच इस तरह से फैला रखा था कि चम्बा कालेज में शिक्षा ग्रहण करने वाले कई युवा उसके ग्राहक बने चुके थे। पुलिस की मानें तो वह अपने कारोबार को चम्बा कालेज के आसपास अंजाम देता था तो साथ ही सस्ता नशा होने के साथ-साथ दुर्गंध न आने के चलते यह नशा युवाओं की पसंद बनता जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इमरान ने अपने इस नशे के व्यापार को फैलाने के लिए कुछ ऐसे युवा भी रखे हुए थे जो कि मुफ्त में नशे की खुराक पाने के लिए नए युवाओं को अपने साथ जोड़ कर उन्हें भी नशे की गर्त में धकेलने का काम करते थे। इससे इमरान का धंधा दिन ब दिन फलफूल रहा था। पुख्ता जानकारी के अनुसार इमरान ने यह पैसा घर में इसलिए जमा कर रखा था ताकि वह अपनी पुराने हिसाब को चुकता कर सके।

नीली कोड वर्ड के नाम से दे रहा था कारोबार को अंजाम
नीली कोड वर्ड के माध्यम से इस नशे के कारोबार को अंजाम दिया जा रहा था। सूत्रों की मानें तो इमरान खुद ही परचून के रूप में इस माल को बेचता था। नशा करने वालों में उसकी लोकप्रियता का आलम यह था कि शाम तक वह हजारों रुपए का धंधा कर लेता था। पुलिस के अनुसार कुछ समय पहले भी इमरान नशीली दवाइयों के साथ पकड़ा गया था। पुख्ता जानकारी के अनुसार इमरान पुलिस विभाग का बेहद तेज-तर्रार मुखबिर था। इसकी सूचना के आधार पर ही पुलिस ने कई चरस तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में सफलता हासिल की है। दूसरों की मुखबरी करने वाले इमरान को इस बात का आभास तक नहीं हुआ कि उसकी मुखबरी किसने की।

किसने दी सूचना पुलिस को बेहतर पता
इतना जरूर है कि पुलिस का मुखबिर होने के चलते वह खुद को इस गैर-कानूनी धंधे में सुरक्षित महसूस करता था। अक्सर दूसरे के लिए मुखबरी करने वाले इस आरोपी के खिलाफ किस ने पुलिस को सूचना दी यह तो पुलिस ही बेहतर जानती है लेकिन एक बात तो साफ है कि कानून की नजर में वह प्रत्येक व्यक्ति गुनहगार है जोकि अपराध या गैर-कानूनी कार्रवाई को अंजाम देता है। अब पुलिस के लिए सबसे महत्वपूर्ण जांच का केंद्र यह होना चाहिए कि इमरान के साथ इस धंधे में और कौन-कौन जुड़ा हुआ है। यही नहीं, उसकी खेप लाने वाले कौन हंै। यह बात सही है कि पुलिस ने एक बहुत बड़ी सफलता हासिल करने में कामयाबी तो हासिल की है लेकिन पुलिस की यह कार्रवाई अगर इमरान तक ही केंद्रीत होकर रह गई तो पुलिस जिला में फैले इस रैकेट का कभी भी पर्दाफाश नहीं कर पाएगी।

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